प्राईवेट स्कूलों की महंगी मनमानी !

देहरादून, उत्तराखंड में नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होते ही प्राईवेट स्कूलों की मनमानी भी शुरू हो गई है। अलग-अलग वजहों से अभिभावकों से मोटी मोटी रकम वसूल की जा रही है। प्राईवेट स्कूल हर साल फीस बढ़ाने के साथ ही अभिभावकों से एनुअल फीस, एडमीशन फीस,ट्रांसपोर्टेशन की फीस और ऐसे ना जाने कितनी वजहों से फीस वसूल रहे हैं। इतनी फीस देकर भी बच्चे के सफल होने की गारंटी नहीं….वहीं स्कूलों की हर साल बढ़ती फीस और अलग अलग चार्जेस की वजह से गरीब मां बाप अपने बच्चे को स्कूल में पढ़ा नहीं पा रहे हैं। प्राईवेट स्कूलों की बढ़ती मनमानी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने 22 स्कूलों को नोटिस भी थमाया है लेकिन कोई खास असर देखने को नहीं मिला। वहीं राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने स्कूलों की मनमानी के पीछे अधिकारियों और स्कूल संचालकों की मिलीभगत को जिम्मेदार बताया है वहीं अब इस पूरे मामले में सियासत भी गरमा गई है। स्कूलों की इस मनमानी को रोकने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकार को कार्रवाई के लिए अल्टीमेटम दिया है। 

 

देवभूमि उत्तराखंड जो कि एजुकेशन हब के नाम से जाना जाता है। जहां दूर दूर से बच्चे पढ़ने आते ही लेकिन अब यहां शिक्षा के नाम पर खुली लूट चल रही है। अलग-अलग वजहों से अभिभावकों से मोटी मोटी रकम वसूल की जा रही है। प्राईवेट स्कूल हर साल फीस बढ़ाने के साथ ही अभिभावकों से एनुअल फीस, एडमीशन फीस,ट्रांसपोर्टेशन की फीस और ऐसे ना जाने कितनी वजहों से फीस वसूल रहे हैं। इतनी फीस देकर भी बच्चे के सफल होने की गारंटी नहीं….प्राईवेट स्कूलों की बढ़ती मनमानी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने 22 स्कूलों को नोटिस भी थमाया है लेकिन कोई खास असर देखने को नहीं मिला। वहीं अब इस पूरे मामले में सियासत भी गरमा गई है। स्कूलों की इस मनमानी को रोकने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकार को कार्रवाई के लिए अल्टीमेटम दिया है।

 

वहीं राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने स्कूलों की मनमानी के पीछे अधिकारियों और स्कूल संचालकों की मिलीभगत को जिम्मेदार बताया है साथ ही उन्होने सरकार से चार मुख्य शिक्षा अधिकारियों समेत 15 खंड शिक्षा अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग की है… उनका कहना है कि ये अधिकारी राज्य के निजी स्कूलों में एनसीईआरटी के बजाए निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें लगा रहे हैं जिन्हें हटाया जाना चाहिए….वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार की नीतियों के चलते प्राईवेट स्कूल खुलेआम लूट मचा रहे हैं। जबकि सत्तापक्ष ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है

 

कुल मिलाकर शिक्षा के नाम पर प्राईवेट स्कूलों की मनमानी कोई नई बात नहीं लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार शिक्षा के इन माफियाओं के आगे झूकती हुई नजर आती है….क्यों ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती…..क्यों अबतक धामी सरकार ने अपने ही पूर्व शिक्षा मंत्री की मांग को नहीं माना,,,क्या शिक्षा विभाग के अधिकारी ही महंगी शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।

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