उत्तराखण्ड डेस्क रिपोर्ट।, उत्तराखंड की धामी सरकार ने हाल ही में राज्य के चार जिलों में 17 स्थानों के नाम बदले हैं। देहरादून के मियांवाला का नाम बदलने पर स्थानीय निवासी राजपूत समुदाय ने विरोध कर दिया है। उनका कहना है कि यह नाम उनके पूर्वजों के सम्मान में दिया गया था जिसे सरकार ने मुस्लिम का “मियां” समझकर बदल दिया गया है। उन्होंने जिलाधिकारी सविन बंसल के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक अपनी बात पहुंचाई है उनका कहा है कि सरकार ने गलतफहमी के चलते मियांवाला का नाम रामजीवाला कर दिया है उन्होंने बताया इस स्थान का नाम मियांवाला के “मियां पदवी” के कारण पड़ा है, मियां उपाधि मियांवाला के मूल राजपूत परिवारों को मिली थी। इन राजपूत परिवारों का टिहरी रिसासत से सीधा संबंध रहा है। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कहा है कि यदि गलतफहमी कारण मियांवाला का नाम बदला गया है, तो उसमें सुधार किया जाना चाहिए । उन्होंने मुख्यमंत्री से मियां वाला का नाम वापस से मियांवाला करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में चार जिलों के 17 जगहों के नाम बदलने की घोषणा की, सरकार का कहना है कि यह निर्णय स्थानीय लोगों की भावनाओं और सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखकर लिया गया है, जिससे लोग भारतीय संस्कृति और इसके संरक्षण में योगदान देने वाले महापुरुषों से प्रेरणा ले सकें। धामी सरकार के इस निर्णय के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं खासतौर पर देहरादून नगर निगम के मियां वाला का नाम रामजी वाला किए जाने पर विवाद छिड़ा हुआ है। जानकार बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के वर्तमान कांगड़ा जिले में कभी गुलेर रियासत का गौरवशाली इतिहास रहा है। रियासत न केवल अपने शासन और संस्कृति के लिए जानी जाती थी, बल्कि इसके गहरे संबंध उत्तराखंड की गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल रियासतों से भी थे, इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल के लगभग 13 राजाओं के वैवाहिक और पारिवारिक रिश्ते हिमाचल प्रदेश की रियासतों विशेष रूप से गुलेर, से जुड़े हुए थे। इन रिश्तों ने दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान को मजबूत किया था।गढ़वाल के इतिहास में सबसे लंबे समय तक लगभग 60 वर्षों तक, शासन करने वाले राजा प्रदीप शाह का ससुराल गुलेर रियासत में था, इसी तरह टिहरी गढ़वाल के तीसरे राजा प्रताप शाह की महारानी जिन्हें गुलेरिया जी के नाम से जाना जाता था, गुलेर रियासत से थीं, यह महारानी टिहरी के राजा कीर्ति शाह की माता व महाराजा नरेंद्र शाह की दादी भी थीं, इन वैवाहिक संबंधों ने गुलेर और गढ़वाल-टिहरी के बीच एक मजबूत कड़ी स्थापित की थी। गुलेर रियासत के लोगों को “मियां” की सम्मानजनक उपाधि से नवाजा गया था, जो उस समय की बोलचाल और परंपरा में प्रचलित हो गया। वही बीजेपी के छेत्रिय विधायक उमेश शर्मा काउ ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है।
आपको बता दे प्रदीप शाह के शासनकाल से ही गुलेरिया लोग अपने रिश्तेदारों के साथ गढ़वाल आने लगे थे। इन लोगों को ‘डोलेर’ भी कहा जाता था जिसका अर्थ है कि वे दुल्हन यानी रानी की डोली के साथ-साथ गढ़वाल आए थे ये गुलेरिया लोग बड़े और सम्मानित राजपूत हुआ करते थे, जिनका प्रभाव और पहचान दोनों क्षेत्रों में फैली हुई थी, जब रियासतों से लोग गढ़वाल या टिहरी गढ़वाल की ओर आए, तो गुलेरिया भी उनके साथ थे। गढ़वाल और टिहरी के राजाओं ने इन लोगों को अपनी सेवा और रिश्तेदारी के सम्मान में कई जागीरें प्रदान की, इनमें से एक प्रमुख जागीर देहरादून के पास मियांवाला थी। यह बात साफ़ करना आवश्यक है कि “मियां” कोई जाति नहीं है, बल्कि यह गुलेरिया लोगों के लिए प्रयुक्त एक उपाधि थी जो मूल रूप से गुलेर रियासत से संबंधित थे। राजा प्रदीप शाह ने इन गुलेरिया लोगों को मियांवाला से लेकर कुआंवाला तक की विशाल जागीर प्रदान की थी, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें और सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। इन जागीरों के साथ-साथ गुलेरिया लोग गढ़वाल और टिहरी के विभिन्न क्षेत्रों में बस गए, आज भी टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लॉक में कंडारस्यूं और जखन्याली गांव, नरेंद्रनगर ब्लॉक में रामपुर गांव, पौड़ी गढ़वाल में नौगांव खाल के निकटवर्ती क्षेत्र, और उत्तरकाशी के नंदगांव आदि जैसे गांवों में “मियां” कहे जाने वाले ये लोग निवास करते हैं। जिसको लेकर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया है।
यह जानना ज़रूरी है मियां नाम का मूल हिंदी और उर्दू भाषाओं से जुड़ा हुआ है और यह आमतौर पर मुस्लिम समुदाय में प्रयोग होता है। यह अरबी शब्द मियाँ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है महाशय या श्रीमान एक सम्मानसूचक संबोधन है इसका इस्तेमाल अक्सर किसी व्यक्ति के प्रति आदर या सम्मान दिखाने के लिए किया जाता है। मियांवाला नाम बदले जाने के विरोध पर धामी सरकार पर सवाल तो खड़े हो ही गए है. अब देखना होगा सरकार क्या एक्शन लेती है यह आने वाला वक्त बताएगा। के न्यूज़ इंडिया के लिए