उत्तराखंड- देश में बाघों की संख्या को बढ़ाने और इनके संरक्षण के तमाम उपाय किये गये हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी इसे लागू किया गया है लेकिन राज्य में बाघों को लेकर एक बड़ी गंभीर स्थिति सामने आयी है। राज्य में अब तक एक दर्जन से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है। बाघों की इस तरह सिलसिलेवार तरीके हुई मौत की जांच की गयी। जांच रिपोर्ट को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भी सौंप दिया गया। इसके साथ ही बाघों की मौत की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है क्योंकि एक दर्जन से ज्यादा बाघों की मौत हुई है उसमें से दो बाघों की मौत पर अभी संदेह बना हुआ है। जल्द ही इसके कारणों का भी पता लगा लिया जायेगा।
प्राकृतिक कारणों से बताई जा रही मौत
उत्तराखंड में बाघों की इतनी संख्या में हुई मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं लेकिन प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है कि जिन चौदह बाघों की मौत हुई है, वह प्राकृतिक कारणों से हुई बताई जा रही है क्योंकि बाघों की लाशों को देखते पर पता चला कि उनकी हड्डी मांस निकाले नहीं गये थे। साथ ही जांच में किसी प्रकार रंजिस के चलते विष भी दिये जाने की बात नहीं आयी। हालांकि बाघों की बड़ी संख्या में मौत के मामले पर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. समीर सिन्हा ने बताया कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्थिती स्पष्ट हो सकेगी।