उत्तराखंड- लोकसभा चुनाव नजदीक है फरवरी माह भी समाप्ति की और है। समय बीतने के साथ ही भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने तैयारियों को तेज कर दिया है। इसी के तहत कांग्रेस ने प्रत्याशियों पर भी मंथन शुरू कर दिया है। दिल्ली में कांग्रेस की स्क्रिनिंग कमेटी की बैठक आयोजित की गई। जिसमें उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस में करीब चालीस दावेदारों के नाम सामने आए हैं। यह नाम प्रत्यक्ष आवेदन, खुली दावेदारी और पार्टी सर्वे के आधार पर स्क्रीनिंग कमेटी तक पहुंचे हैं। वहीं इस बार पार्टी ने उम्मीदवारी जता रहे नेताओं के दावों की पड़ताल कराने का निर्णय लिया है।
इसके लिए पार्टी के इंटरनल सर्वे भी किया जा रहा है। वहीं कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व से सीटवार पिछले आंकड़ों और समीकरणों का विवरण भी मांगा है। अगले सप्ताह होने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में टिकटों को लेकर स्थिति काफी हद तक साफ हो जाएगी। भाजपा पूरी तरह से जीत की हैट्रिक के लिए आश्वस्त है जबकि कांग्रेस का कहना है कि भाजपा धार्मिक मुद्दों के आधार पर मतदाताओं को असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है। जबकि महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर योजना समेत तमाम मुद्दों से जनता नाराज है ऐसे में जनता 2024 में भाजपा को सबक सिखाने जा रही है। सवाल ये है कि क्या कांग्रेस इन मुद्दो के सहारे जीत का स्वाद चख पाएगी?
आपको बता दें कि उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों में भाजपा- कांग्रेस आमने सामने है। मौजूदा समय में राज्य की सभी लोकसभा सीटों में भाजपा का कब्जा है। भाजपा को पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे और राम मंदिर में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही राज्य की विधानसभा में यूसीसी पारित होने से भाजपा की स्थिति काफी मजबूत है। इसके साथ ही चुनाव से पहले भाजपा की नई दिल्ली में राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई जिसमें पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को अगले सौ दिन विशेष रूप से सक्रिय रहकर काम करने के निर्देश दिए। सौ दिन की इस अवधि में नए मतदाताओं के साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क बढ़ाने व समाज के हर वर्ग को भाजपा से जोड़ने के लिए कार्य इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओँ का प्रचार प्रसार करने के भी निर्देश दिए गए है। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि इस बार जनता भाजपा की बातों में नहीं आएगी।
कुल मिलाकर चुनाव के लिए समय बेहद कम है। यही वजह है कि राज्य में राजनीतिक कार्यक्रम तेज हो गए है। चुनावी तैयारियों के लिहाज से बीजेपी अपने विरोधी दलों से काफी आगे है। सरकार से लेकर संगठन तक चुनाव की तैयारियों को धार देने में लगे हुए हैं। भाजपा का दावा है कि राम मंदिर, यूसीसी और विकास के दम पर 400 से ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा हैट्रिक मारेगी। जबकि कांग्रेस का दावा है कि बेरोजगारी, महंगाई समेत विभिन्न जनसमस्याओं से परेशान जनता भाजपा को सबक सिखाने वाली है वहीं अब देखना होगा कि 24 का दंगल किसको जीत का स्वाद चखाता है और किसको हार का सामना कराता है।
ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़: कलेक्टर ने जनचौपाल में सुनी आम नागरिकों की समस्याएं