यूपी में बिजली निजीकरण पर बढ़ा विरोध, आगामी सोमवार को पूरे राज्य काली पट्टी बांधकर काम करेंगे कर्मचारी, सीएम को भेजा पत्र

KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था के निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। आगामी सोमवार को पूरे राज्य के बिजलीकर्मी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। यह विरोध प्रदर्शन विशेष रूप से पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली निगमों को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) के तहत संचालित करने के लिए ट्रांजक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति के विरोध में किया जा रहा है।

निजीकरण के खिलाफ आंदोलन

आपको बता दें कि बिजलीकर्मियों ने इस मुद्दे पर चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। रविवार को उन्होंने लखनऊ के विभिन्न अपार्टमेंट और कॉलोनियों में जाकर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस (आरडब्ल्यूए) के पदाधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें बिजली निजीकरण के नुकसान के बारे में जानकारी दी। इस दौरान सभी ने निजीकरण के खिलाफ अपने समर्थन का आश्वासन दिया।

सोमवार को, पूरे राज्य में सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियंता काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे। लखनऊ में इसके अलावा विरोध सभा भी आयोजित की जाएगी, जो शाम पांच बजे शक्तिभवन में होगी।

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टीए की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर पावर कॉर्पोरेशन में ट्रांजक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी अपील की है कि एनर्जी टास्क फोर्स की विश्वसनीयता पूरी तरह से खत्म हो चुकी है, और उसके द्वारा किए गए किसी भी प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई न की जाए। वर्मा का कहना है कि आने वाले समय में यह मामला सीएजी ऑडिट का बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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बिजली विभाग में सुधार के आंकड़े

विरोधियों का यह भी कहना है कि राज्य में बिजली निजीकरण का फैसला प्रदेश के हित में नहीं है, क्योंकि बिजली विभाग में सुधार के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के प्रदेश महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में बिजली वितरण में सुधार हुआ है। 2016-17 में एटी एंड सी लॉसेस 40.79 फीसदी थी, जो अब 2023-24 में घटकर 16.92 प्रतिशत रह गई है। इसके साथ ही राजस्व वसूली भी बढ़ी है। 2019-20 में राजस्व वसूली 41,219 करोड़ रुपये थी, जो अब 2023-24 में बढ़कर 62,069 करोड़ रुपये हो गई है।

गुर्जर ने बताया कि राज्य सरकार की रिवैंप योजना के तहत 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं, जिससे बिजली के आधारभूत ढांचे में सुधार हो रहा है। इसके बावजूद, पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण का निर्णय सही नहीं है।

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