भारतीय दलित पैंथर के आवाहन पर मनाई गई विशाल अम्बेडकर जयन्ती 

SHAHNAWAZ KHAN- भारतीय दलित पैंथर उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में दलित, शोषित, समाज के राष्ट्रनायक विश्वविख्यात भारतीय संविधान के रचयिता बोधिसत्व परमपूज्य बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर का 134 वां जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मैकरावर्टगंज कानपुर में विगत वर्षों की भांति बाबा साहब के व्यक्तित्व एवं जीवन पर प्रकाश डाला गया।अम्बेडकर जन्मोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्या एवं राकेश सचान, मुख्य वक्ता  शर्मिला रमा मनोहर (साहित्यकार लखनऊ), अध्यक्षता सैय्यद तौफीक अहमद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ० बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर एक ऐसे मसीहा हुए जिन्होंने जीवन पर्यन्त गरीब, शोषित, पीड़ित, मजलूमों व नारियों के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष किया और भारतीय संविधान की रचना कर सबको बराबरी का अवसर प्रदान किया।

आजादी से पूर्व इस भारत वर्ष में अस्पृश्यता, छुआ-छूत चरम सीमा पर थी। दलितों, पिछड़ों व नारियों को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं था ऐसी कठिन परिस्थितियों में डॉ बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी ने सबको सामनता का अवसर भारतीय संविधान के माध्यम से किया। डॉ० बाबा साहब अम्बेडकर की तुलना जवाहर लाल नेहरू आदि से नहीं की जाती है बल्कि उनकी तुलना अरस्तु, फीदल कस्बो, माओत्से तुंग जैसे महान दार्शनिको के साथ की जाती है। अम्बेडकर जन्मोत्सव कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक भारतीय दलित पैंथर के प्रान्तीय अध्यक्ष पैंथर धनीराव बौद्ध ने कहा कि दलितों, पिछड़ों व अल्पजनों को एकजुट होने का आवाहन करते हुए कहा कि हमें एकता की डोरी में बंधने की नितान्त आवश्यकता है।

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