पश्चिम का रण जितना हर कोई दल चाहता है । क्योकिं पूरब और पश्चिम के पास ही यूपी के सत्ता की चाभी होती है ये सभी राजनीतिक दल बाखूबी जानते है, एक वक्त था जब पश्चिम में सपा,बसपा,और आरएलडी की मजबूत पकड़ थी। यानि कह सकते है की जाटलैंड में इनकी अच्छी खासी पकड़ थी । बीजेपी उतने मजबूती के साथ जाटलैंड में नहीं खड़ी थी। क्योंकि जाटलैड में जाट और मुस्लिम समूदाय के बीच सपा,बसपा और आरएलडी की अच्छी पकड़ थी, लेकिन मुजफ्फरपुर दंगे की बाद यहां जाट और मुस्लिम समीकरण फेल हो गया। बीजेपी धीरे धीरे हिन्दूत्व को लेकर यहां पर हावी हो गई और 2017 में तो तस्वीर ही बदल दी। बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल की और यूपी की सत्ता में काबिज भी हुई। यानि कह सकते है सीएम योगी को सूबे का सीएम बनाने के लिए जाटलैंड का अहम योगदान है।
पिछले आकड़ों की बात कर ली जाए तो पश्चित के रण में सपा,बसपा और बीजेपी तीनों ही बाजी मार चुके है। तीनों ही दलों का पश्चिम की जनता ने पूरा साथ दिया, बारी-बारी सभी दलों को यहां की जनता ने यूपी के सत्ता की चाभी सौंपी लेकिन 2022 का सियासी हालात कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है..कुछ मुद्दों को लेकर पश्चिम का किसान सरकार से कुछ नाराज चल रहा है। हालांकि सीएम योगी ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए गन्ना किसानों का समर्थन मूल्या बढ़ाया है लेकिन विरोधी बार-बार किसानों को मोहरा बना कर यहा पर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सभी विरोधी दल एकल चलों की राह पर है और बीजेपी को हर हाल में सत्ता से बेदखल करने की ठान ली है। लेकिन विरोधियों के एकल चलो की राह से बीजेपी थोड़ा राहत की सांस ली है। क्योंकि अलग-अलग चुनाव लड़ने से किसी भी एक दल को पूरा वोट नहीं मिलेगा। वहीं बीजेपी अपने आप को सेफ इसलिए मान रही है की यहां पर बीजेपी का वोटर फिक्स है।
बात कर ली जाए जाटलैंड के 2012 के आंकड़ों को देखें तो सपा को 24, बीएसपी को 23, बीजेपी को 13, आरएलडी को 9 और कांग्रेस को 5 सीटें मिली थीं, लेकिन 2017 में ये आकड़े बदल गए और सपा के साथ साथ आरएलडी ,बीएसपी और कांग्रेस के भारी नुकासन हुआ ज्यादातर सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया मुरादाबाद की बात कर ली जाए तो यहां का दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। 2017 में मोदी लहर के आगे विरोधियों ने घुटने टेक दिए थे लेकिन उसके बावजूद यहां में छह सीटों में से चार सीटों पर सपा का कब्जा हुआ जबकि बीजेपी को महज 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। वही बीएसपी और कांग्रेस को भारी नुकसना का सामना करना पड़ा।
अब आईए एक नजर डालते है मुरादाबाद के विधानसभा सीटों पर
मुरादाबाद में छह विधानसभा सीटें
- ठाकुरद्वारा – नवाब जान, ठाकुरद्वारा, सपा
- कांठ – राजेश कुमार सिंह, कांठ, बीजेपी
- बिलारी – मोहम्मद फईम, सपा
- मुरादाबाद शहर – रीतेश कुमार गुप्ता, भाजपा
- मुरादाबाद ग्रामीण – हाजी इकराम कुरैशी, सपा
- कुन्दरकी – मोहम्मद रिजवान, सपा
वो सीटें जो सपा और बीजेपी के कब्जे में है।
ठाकुरद्वारा
मुरादाबाद जिले में पड़ता विधानसभा सीट नंबर 26 ठाकुरद्वार. यह सीट मुरादाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है. ठाकुरद्वारा अनारक्षित सीट है. इस निर्वाचन क्षेत्र का अस्तित्व 1951 से है.– इस इलाके के किसान खासे संपन्न हैं.यहां चीनी मिल के साथ कई छोटे बड़े उद्योग धंधे भी हैं. मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर तैयार पीतल हस्तशिल्प का निर्यात सिर्फ भारत में ही नहीं अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया के देशों में भी होता है. इसलिए स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ता है।
कांठ सीट
कांठ विधानसभा क्षेत्र मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. कांठ मुस्लिम बहुल अनारक्षित सीट है. वर्ष 1956 के परिसीमन में कांठ विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ, और यहां के लोगों को पहली बार 1957 के विधानसभा चुनाव में मतदान का मौका मिला. मुरादाबाद खुद रेल मंडल है इसलिए ट्रेनों की अच्छी सुविधा है.कांठ में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है. साथ ही रामगंगा नदी के खादर के कारण जमीन उपजाऊ है. इसलिए इस इलाके के किसान खासे संपन्न हैं।
बिलारी सीट
बिलारी के लगभग 50% लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि से ही जुड़ा है. यहां सूती कपड़ा, दरी, चादर बुनाई जैसे छोटे और लघु उद्योग धन्धे हैं. बिलारी के समीपवर्ती क्षेत्रों में ईंट और गुड़ उद्योग प्रचुर मात्रा में है. यहां पीपरमैंट के तेल का कारोबार भी है. क्षेत्र की प्रमुख उपज गन्ने की है. पहले इस क्षेत्र के अधिकांश भाग पर कपास पैदा की जाती थी।
मुरादाबाद ग्रामीण सीट
हाजी इकराम कुरैशी उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद ग्रामीण विधान सभा से विधायक हैं। हाजी इकराम कुरैशी समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी के टिकट पर २०१७ के विधान सभा चुनाव में इन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हरिओम शर्मा को 28781 वोटों से हराया—इस विधान सभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी मौ० कामरानुल हक़ को 23404 वोट प्राप्त हुए और उन्हें तृतीय स्थान से ही संतुष्ट होना पड़ा—
कुंदरकी सीट
कुंदरकी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मुरादाबाद जिले में पड़ता है और संभल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है. कुंदरकी की बसावट मुगल साम्राज्य से पहले की है. ऐतिहासिक रिकॉर्ड 10वीं शताब्दी की शुरुआत से इस स्थान का अस्तित्व दिखाते हैं.उन्होंने 1578 में कुंदरकी में एक महल का निर्माण किया, जिसने उनके परिवार को “महल वाले” नाम दिया. उनके वंशज आज भी वहीं पर रहते है । वर्ष 2002, 2012 और 2017 में कुंदरकी सीट को सपा की झोली में डाला है।
मुरादाबाद शहर सीट
मुरादाबाद शहर का अपना इतिहास बहुत पुराना रहा है। दुनिया में पीतल नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद जनपद का अपना राजनीतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व रहा है। कारोबार के जरिये दुनिया में अपने हुनर का डंका बजाने वाले इस शहर को आज भी सोने की चमक लिए पीतल की वजह से जाना जाता है।
मुरादाबाद की समस्या
- पीतल मजदूरों की बदहाली
- शहर में लगने वाला भयंकर जाम
- गोविंदनगर ओवरब्रिज
- बिजली की अघोषित कटौती
- पीतल की भट्टियों से निकलता धुआं और उससे होने वाली बीमारियों से भी दस्तकार जूझ रहा है
- बरसात के मौसम में जलभराव
- खराब सड़कें
- सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा
छात्र-छात्राओ के लिए सरकारी विश्वविद्यालय का ना होना
कुल मिलाकर ये कह सकते है की मुरादाबाद में बीजेपी ने सपा और बीएसपी के गढ़ में सेंघमारी की है और अपनी पैठ बनाई है। मुस्लिम मतदाताओं के अधिक होने की वजह से बीजेपी को छह में से दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, लेकिन सौ टके की ये भी है की अगर सभी विरोधी दल एकला चलते हुए गठबंधन नहीं करेंगे तो इसका फायदा एक बार फिर बीजेपी को मिलेगा और विरोधियों को मुंह की खानी पड़ेंगी।