उत्तरप्रदेश: मोबाइल टावर की हुई चोरी, आखिर पुलिस ने टावर कंपनी पर ही क्यों कर दी कार्रवाई?

KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में मोबाइल टावर चोरी होने का एक अनोखा मामला सामने आया है। टावर लगाने वाली कंपनी ने ऑनलाइन तहरीर देकर टावर चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। जिसके बाद पुलिस ने चौका देने वाला खुलासा किया है।

क्या है पूरा मामला?

कौशांबी जिले में सन्दीपन घाट थाना क्षेत्र का एक गांव है उजीहिनी। ये मामला उसी गांव का है। गांव में रहने वाले उबैद उल्ला पुत्र मजीद उल्ला की जमीन पर एक मोबाइल कंपनी ने टावर लगाया था। जहां प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज थाना क्षेत्र के रस्तीपुर निवासी राजेश यादव की तैनाती जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी में बतौर टेक्निसियन थी। वो समय-समय पर वहां जाकर टावर का जायजा लिया करता था। आपको बता दें कि टेक्नीशियन राजेश यादव ने 31 मार्च 2023 को साइट पर जाकर विजिट किया तो उस जगह लगा पूरा टावर गायब था। यानी वहां से टावर का पूरा स्ट्रक्चर और सेटअप गायब था। ये देखकर राजेश हैरान रह गया। उसने इस बारे में जमीन के मालिक से पूछताछ की लेकिन उन्होने इस मामले में कोई भी जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद कंपनी के इंजीनियर ने 9 महीने बाद यानी 28 नवंबर को अज्ञात चोरों के खिलाफ ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराया।

बताया जा रहा है कि इस कंपनी ने कौशांबी जिले के अलग इलाकों में करीब दर्जनभर से ज्यादा टावर लगाए थे। जिनमें से एक पूरा टावर ही चोरों ने गायब कर दिया था। पुलिस भी ये जानकार हैरान थी। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की और मामले की जांच शुरू कर दी। छानबीन आगे बढ़ी तो पुलिस ने इस मामले में बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया।

पुलिस का कहना है कि टावर लगाने वाली कंपनी ने साल 2010 में जमीन मालिक उबैदुल्लाह के साथ 10 साल का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था। 10 साल पूरे हो जाने के बाद कंपनी पहले से कम रेट देकर टावर उसी स्थान पर लगे रहना देना चाहती थी लेकिन जमीन मालिक ने इस बात से इनकार कर दिया और किराए की धनराशि बढ़ाने की बात कही। इसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने जनवरी 2023 में लिखा-पढ़ी कर टावर वहां से खुलवा लिया और बाद में 31 मार्च की घटना दिखाकर बिना थाने में आए ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कर दिया।

एसपी ने बताया कि यह घटना पूरी तरीके से झूठी है. इस पूरे मामले में जो भी लोग शामिल हैं, उनको चिन्हित करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जिन लोगों ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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