यात्रा सुस्त, व्यवस्था दुरूस्त ?

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, केदारनाथ उपचुनाव के बीच उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा-2024 का समापन हो गया है। केदारनाथ, गंगोत्री,यमुनोत्री धाम के बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट भी बंद हो गये हैं। इस वर्ष की चारधाम यात्रा से सरकार को उम्मीद थी कि पिछले सभी रिकॉर्ड टूट जाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बता दें कि इस वर्ष की चारधाम यात्रा में करीब 44 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किये हैं। जबकि पिछले वर्ष 2023 की यात्रा में 56 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने चारोधामों के दर्शन किये थे। इस लिहाज से देखे तो करीब 12 लाख श्रद्धालुओं की कमी आई है। कांग्रेस का आरोप है सरकार ने चारधाम यात्रा को सकुशल चलाने के लिए कोई तैयारी नहीं की जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई है। वहीं भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के नकारात्मक यात्रा के प्रचार से देश विदेश के श्रद्धालुओं में गलत संदेश गया जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई है। वहीं ओर जहां चारधाम यात्रा में कम श्रद्धालुओं की संख्या में सियासत गरमाई हुई है तो वही दूसरी ओर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सरकार से साल भर चारधाम यात्रा को चलाने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को शीतकालीन में भी चारधाम यात्रा शुरू करनी चाहिए, इसके साथ ही उन्होने यात्रा में लोगों की संख्या को सीमित करने के फैसले का भी विरोध किया है। अब सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की मांग को पूरा करेगी, क्या राज्य सरकार सालभर यात्रा चलाने के लिए तैयार है

देवभूमि उत्तराखंड में सरकार की भव्य तैयारियों के दावे के बावजूद राज्य की चारधाम यात्रा-2024 में श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई है। एक ओर जहां सरकार इस वर्ष की यात्रा में अबतक के सभी रिकॉर्ड टूटने का दावा कर रही थी. तो वही दूसरी ओर मौजूदा वर्ष की चारधाम यात्रा 2023 और 2022 से भी कम रही. बता दे कि पिछले वर्ष 2023 की चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड 56 लाख जबकि 2022 में 46 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओँ ने चारधाम यात्रा के दर्शन किये थे। वहीं मौजूदा वर्ष की चारधाम यात्रा में मात्र 44 लाख से ज्यादा श्रद्धालु ने ही चारोधामों के दर्शन किये है. वहीं रिकॉर्ड श्रद्धालुओँ की गिरावट पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने चारधाम यात्रा को सकुशल चलाने के लिए कोई तैयारी नहीं की जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई है। वहीं भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के नकारात्मक यात्रा के प्रचार से देश विदेश के श्रद्धालुओं में गलत संदेश गया है

आपको बता दें कि इस वर्ष की चारधाम यात्रा दस मई से शुरू हुई थी। शुरूआती 21 दिनों में ही रिकॉर्ड श्रद्धालु भी चारोधामों के दर्शन के लिए भी पहुंचे लेकिन इसके बाद लगातार श्रद्धालुओं की संख्या घटने लगी, बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से ऑफलाईन रजिस्ट्रेशन बंद करने, चारधाम यात्रा मार्गों पर लैंडस्लाईडिंग, आपदा के साथ ही श्रद्धालुओं की सीमित संख्या की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई है। इस बीच

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सरकार से साल भर चारधाम यात्रा को चलाने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को शीतकालीन में भी चारधाम यात्रा शुरू करनी चाहिए, इसके साथ ही उन्होने यात्रा में लोगों की संख्या को सीमित करने के फैसले का भी विरोध किया है।

कुल मिलाकर उत्तराखंड की आर्थिकी का बड़ा जरिया पर्यटन और तीर्थाटन है. प्रदेश की चारधाम यात्रा से प्रदेश को काफी उम्मीदें है। यही वजह है कि सरकार अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रही है जिससे श्रद्धालुओँ की संख्या में इजाफा हो… बावजूद इसके श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। वहीं अब इस गिरावट के पीछे राजनीतिक दल अपने अपने तर्क दे रहे हैं। इस बीच अब शीतकाल में भी चारधाम यात्रा को सुचारू रखने की मांग की जा रही है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की मांग को पूरा करेगी, क्या राज्य सरकार सालभर यात्रा चलाने के लिए तैयार है

  

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