उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे इस पर सस्पेंस बरकरार है. हांलाकि राज्य सरकार जल्द निकाय चुनाव का दावा तो कर रही है लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस वर्ष भी निकाय चुनाव नहीं कराएगी। विपक्ष का आरोप है कि सरकार उपचुनाव में मिली हार से डर गई है। वहीं विपक्ष के इस आरोप के बीच धामी सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दाखिल किया है। जिसमें सरकार ने उत्तराखंड में नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों के चुनाव अब 25 नवंबर तक कराए जाने की बात कही है। बता दें कि पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से 25 अक्तूबर तक निकाय चुनाव कराने की बात कही गई थी। लेकिन शुक्रवार को हुई सुनवाई में सरकार ने इस तिथि तक चुनाव कराने में असमर्थता जता दी है। वहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार 25 नवबर तक भी निकाय चुनाव नहीं कराएगी… आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। जिसके बाद प्रशासकों का यह कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा था. लेकिन सरकार ने अगस्त माह में एक बार फिर तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों बार बार सरकार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के साथ ही कोर्ट में भी चुनाव की तारीखें बदल रही है..
उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव अब 25 नवंबर तक कराए जाएंगे। ये बात धामी सरकार ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर दी है। हालांकि, पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से कहा गया था कि निकाय चुनाव 25 अक्तूबर तक करा लिए जाएंगे। बता दें कि शुक्रवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने अक्टूबर तक चुनाव कराने में असमर्थता जता दी। वहीं सरकार ने शपथ पत्र में कहा कि निकाय चुनाव की अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी। और इसी साल 25 दिसंबर तक निकाय निर्वाचन प्रक्रिया पूरी तरह से संपन्न कर ली जाएगी। वहीं विपक्ष का आरोप है कि नवंबर में भी निकाय चुनाव हो पाएंगे…इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। जिसके बाद प्रशासकों का यह कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा था. लेकिन सरकार ने अगस्त माह में एक बार फिर तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि ओबीसी आरक्षण और अन्य कार्यों के चलते चुनाव करवाने में देरी हुई है…लेकिन अब सरकार नवंबर तक निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है। वहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार ने धरातल पर कोई विकास कार्य नहीं किये हैं। जिसकी वजह से सरकार निकाय चुनाव कराने से भाग रही है।
कुल मिलाकर राज्य में एक बार फिर निकाय चुनाव पर सिसायी वार पलटवार शुरू हो गया है। एक ओर जहां सरकार निकाय चुनाव के लिए पूरी तैयारी का दावा कर रही है साथ ही 25 नवंबर तक निकाय चुनाव सम्पन्न कराने का दावा भी कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष अभी भी सरकार के दावों पर भरोसा नहीं कर पा रहा है। सवाल ये है कि आखिर क्यों बार बार सरकार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के साथ ही कोर्ट में भी चुनाव की तारीखें बदल रही है..क्या धामी सरकार का जल्द निकाय चुनाव कराने का दावा सही है। आखिर विपक्ष को क्यों सरकार के शपथ पत्र पर भरोसा नहीं है।