KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आगामी नव वर्ष के अवसर पर स्पर्श दर्शन पर रोक लगाने का अहम फैसला लिया है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह निर्णय भक्तों की बढ़ती संख्या और उनके दर्शन में किसी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए लिया गया है। 31 दिसंबर से लेकर 3 जनवरी तक यह रोक लागू रहेगी, और इस दौरान श्रद्धालु केवल झांकी दर्शन ही कर सकेंगे।
भक्तों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि की संभावना
मंदिर प्रशासन का अनुमान है कि इस दौरान श्रद्धालुओं की संख्या अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ सकती है। पिछले कुछ वर्षों में काशी विश्वनाथ मंदिर में नए साल के दौरान दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। खासकर, नए वर्ष के पहले दिन और उससे जुड़े दिनों में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। इस बार 1 जनवरी 2025 को सावन के सोमवार जितनी भीड़ होने की संभावना है, जो मंदिर प्रशासन के लिए एक चुनौती है।
स्पर्श दर्शन पर रोक क्यों?
इस फैसले के पीछे मंदिर प्रशासन का मुख्य उद्देश्य यह है कि अधिक श्रद्धालुओं के बावजूद किसी को भी परेशानी का सामना न करना पड़े। स्पर्श दर्शन पर रोक लगाकर प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि सभी भक्त सुगमता से दर्शन कर सकें। बढ़ती भीड़ को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है, ताकि भक्तों को किसी तरह की अव्यवस्था या असुविधा का सामना न करना पड़े।
पिछले सालों में रिकॉर्ड संख्या में दर्शन
2024 के पहले दिन, 1 जनवरी को काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या 7.35 लाख तक पहुंच गई थी। यह आंकड़ा भीड़-भाड़ वाले सावन के सोमवार के बराबर था। पिछले तीन वर्षों में श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी गई है। 2022 में 5 लाख, 2023 में 5.5 लाख और 2024 में 7.35 लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आए थे।
नई शुरुआत और लगातार बढ़ता रिकॉर्ड
पिछले कुछ सालों में काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। 13 दिसंबर 2021 को विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 2024 के दिसंबर तक, काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की कुल संख्या 19 करोड़ 12 लाख 83 हजार 57 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि काशी विश्वनाथ मंदिर की आस्था और लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हो रही है।
नव वर्ष के दौरान बदलते रुझान
हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि नए साल के मौके पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने की परंपरा और भी अधिक प्रचलित हो गई है। देशभर से श्रद्धालु 31 दिसंबर की रात को ही मंदिर में दर्शन के लिए लाइन में लगने शुरू कर देते हैं, और 1 जनवरी की देर रात तक मंदिर में दर्शन करने का सिलसिला जारी रहता है।