24 की चुनौती बड़ी, हारी सीटों पर निगाहें कड़ी !

उत्तराखंड- उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई है। चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने इस दंगल को फतह करने की कोशिशें तेज कर दी है। इसी के तहत सत्ताधारी दल भाजपा ने अपने सांसदों और विधायकों समेत तमाम पदाधिकारियों को जरूरी जिम्मेदारी सौंपी है। इसी कड़ी में भाजपा ने सांसदों को विधानसभा चुनाव में हारी हुई 23 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही भाजपा ने केंद्र सरकार की विकसित भारत संकल्प यात्रा के समन्वय का जिम्मा भी सांसदों को सौंप दिया है। साथ ही विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों को भी कम से कम तीन दिन यात्रा में शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में विकसित भारत संकल्प यात्रा शुरू की है। इस यात्रा के तहत अभी विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में विशेष शिविर आयोजित कर लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने ये साफ कर दिया है कि वह राज्य में निकाय चुनाव नहीं कराने जा रही है। सरकार अब राज्य में दो दिसंबर से नगर निगमों की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और अन्य निकायों का कामकाज एसडीएम रैंक के अधिकारियों को देने की तैयारी कर रही है। प्रशासक की नियुक्ति छह माह के लिए की जाएगी। क्योंकि एक दिसंबर को निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और अभी तक मतदाता सूची बनाने और निकायों में ओबीसी आरक्षण तय करने का सर्वे ही चल रहा हे ऐसे में ये साफ हो गया है कि फिल्हाल निकाय चुनाव नहीं होंगे, वहीं निकाय चुनाव ना कराने को लेकर विपक्ष लगातार सत्तापक्ष पर हमलावर है।कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने हार के डर से निकाय चुनाव ना कराने का आरोप सरकार पर लगाया है।

एक तरफ जहां 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है तो दूसरी ओर सरकार ने फिल्हाल निकाय चुनाव ना कराने का फैसला लिया है और अब उत्तराखंड में दो दिसंबर से नगर निगमों की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और अन्य निकायों का कामकाज एसडीएम रैंक के अधिकारी संभालेंगे। प्रशासक की नियुक्ति छह माह के लिए की जाएगी। आपको बता दें कि एक दिसंबर को निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। निकाय चुनाव ना कराने पर सरकार इनमें प्रशासक तैनात कर देगी। प्रदेश में करीब 84 नगर निकाय के बोर्ड का कार्यकाल एक दिसंबर को पूरा हो जाएगा। इस बार चुनाव समय पर नहीं होने के कारण शहरी विकास विभाग आगामी एक दिसंबर को निकायों में प्रशासक की नियुक्ति करने की तैयारी कर रहा है। वहीं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि राज्य में निकाय चुनाव सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद होंगे। इसके लिए अभी मतदाता सूची बनाने और निकायों में ओबीसी आरक्षण तय करने का सर्वे चल रहा है। वहीं निकाय चुनाव ना कराने को लेकर विपक्ष लगातार सत्तापक्ष पर हमलावर है…कांग्रेस ने सरकार पर हार के डर से निकाय चुनाव ना कराने का आरोप लगाया है।

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के लिए समय छह महीने से कम का रह गया है। यही वजह है कि भाजपा ने अपने सांसदों को जिम्मेदारी ज्यादा सौंप दी है। भाजपा ने सांसदों को विधानसभा चुनाव में हारी हुई 23 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही भाजपा ने केंद्र सरकार की विकसित भारत संकल्प यात्रा के समन्वय का जिम्मा भी सांसदों को सौंप दिया है। देखना होगा 2024 का चुनाव दंगल किसको जीत का स्वाद चखाता है और किसको हार से सामना कराता है?

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