आरक्षण पर बवाल, पक्ष विपक्ष के सवाल !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव से पहले सरकार ने निकायों में आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी की है। सरकार की ओर से जारी इस अधिसूचना के बाद बीजेपी और कांग्रेस में कोहराम मचा है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने अपनी सुविधा के अनुसार आरक्षण तय किया है. जबकि भाजपा के भीतर भी खुलकर इस आरक्षण का विरोध किया जा रहा है। इतना ही नहीं भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने तो कोर्ट तक जाने की चेतावनी सरकार को दी है। उन्होने नगर पालिका विकासनगर में अध्यक्ष पद एसटी वर्ग के लिए आरक्षित होने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कुमाऊं मंडल की खटीमा और धारचुला नगर पालिका में एसटी आबादी विकासनगर की अपेक्षा अधिक है, जबकि उन दोनों ही निकायों को अनारक्षित किया गया है। उन्होने चेतावनी दी है कि इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं होने पर वह कोर्ट की शरण लेगें. इस बीच मसूरी में भी इसका विरोध देखने को मिला यहां मसूरी नगर पालिका में अध्यक्ष की सीट महिला ओबीसी के लिए आरक्षित होने पर भाजपा और कांग्रेस समेत अन्य संगठनों की महिलाओँ ने इसका कडा विरोध किया है। भाजपा नेता पुष्पा पडियार ने मसूरी नगर पालिका में अध्यक्ष की सीट महिला ओबीसी के लिए आरक्षित होने को महिलाओं के साथ अन्याय बताते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। सवाल ये है कि क्या सरकार ने आरक्षण अपनी सुविधा के अनुसार तय किया है। आखिर अपने ही नेताओं की नाराजगी को भाजपा कैसे दूर करेगी, क्या कोर्ट में आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना को चुनौति दी जाएगी।

 देवभूमि उत्तराखंड में होने वाले नगर निकाय चुनाव से पहले निकायों की आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना पर सियासी बवाल छिड़ गया है। भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल सरकार के आरक्षण की अधिसूचना का विरोध कर रहे हैं। हांलाकि भाजपा के भीतर विरोध बड़े स्तर पर देखने को मिल रहा है। जगह जगह से भाजपा के नेता खुलकर और दबी जुबान में सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। विकासनगर सीट से भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान और मसूरी में भाजपा नेता पुष्पा पडियार ने तो कोर्ट तक जाने की चेतावनी दी है। जिसके बाद विपक्ष एक बार फिर भाजपा पर हमलावर हो गया है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड  शासन ने आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना को जारी किया है। इसके तहत नगर निगमों में महापौर के 11 में से छह, जबकि नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष के 43 में से 27 और नगर पंचायतों में अध्यक्ष के 46 में से 31 पद आरक्षित किए गए हैं। राज्य के सबसे बड़े नगर निगम देहरादून में महापौर का पद पहले की तरह अनारक्षित रखा गया है। वहीं निकायों में आरक्षण निर्धारित होने के साथ ही चुनाव का रास्ता भी साफ हो गया है। पर्वतीय क्षेत्र के नवगठित तीन नगर निगमों श्रीनगर, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा में पहली बार चुनाव होंगे। राज्य में कुल 105 नगर निकायों में से सौ में चुनाव होंगे। जबकि नगर पालिका परिषद किच्छा व नरेंद्रनगर के लिए चुनावी कसरत बाद में होगी, जबकि गैर निर्वाचित श्रेणी में शामिल बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री नगर पंचायतों में चुनाव नहीं होते है। वहीं इस बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और बीजेपी विधायक आरक्षण के मुद्दे पर आमने सामने आ गये हैं।

कुल मिलाकर निकाय चुनाव से पहले राज्य में निकायों की आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना पर सियासी बवाल छिड़ गया है। सवाल ये है कि क्या सरकार ने आरक्षण अपनी सुविधा के अनुसार तय किया है। आखिर अपने ही नेताओं की नाराजगी को भाजपा कैसे दूर करेगी, क्या कोर्ट में आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना को चुनौति दी जाएगी।

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