Knews Desk, देवभूमि उत्तराखंड में सश्क्त भू कानून की मांग तेज होती जा रही है तमाम राजनीतिक दल और क्षेत्रीय संगठन हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर प्रदेश में सख्त भू कानून लागू करने की मागं कर रहे हैं। मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर सड़कों पर आ रही भीड़ ने चुनावी साल में सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। इसी चिंता के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासन के उच्च अधिकारियों की बैठक गैरसैंण में बुलाई. इस बैठक में तीन मुख्य विषयों पर चर्चा की गई. इसके तहत सख्त भू कानून के क्रियान्वयन और इसके प्रभाव के साथ ही राज्य में इसे लागू करने के साथ ही पहाड़ों से पलायन को रोकने के उपायों पर चर्चा की। आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अगले बजट सत्र में सख्त भू कानून का बिल लाने की बात कही है। वहीं सीएम धामी का कहना है कि सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के साथ ही लैंड माफिया पर एक्शन भी सरकार का जारी रहेगा। वहीं इस बीच राज्य में सियासत भी गरमा गई है। विपक्षी दलों का आरोप है कि मुख्यमंत्री की ये बैठक सिर्फ आई वॉश है..भाजपा ने राज्य के सख्त भू कानून को कमजोर किया है ऐसे में भाजपा सरकार से सख्त भू कानून लागू होने की कोई उम्मीद नहीं है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में समय समय पर भू कानून में संसोधन किए गए है..इसके तहत तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए। जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त किया था सवाल ये है कि क्या धामी सरकार राज्य में सख्त भू कानून लागू करेगी, आखिर क्यों विपक्ष को सरकार की मंशा पर भरोसा नहीं हो रहा है.
केदारनाथ उपचुनाव के बीच राज्य सरकार की मुश्किलें सख्त भू कानून और मूल निवास लागू करने की मांग ने बढ़ा दी है। इस मांग को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन चल रहे हैं। इन आंदोलनों में लोगों की उमड़ रही भीड़ ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार प्रदेश की जनता को सख्त भू कानून और मूल निवास लागू करने का वादा कर चुके हैं। बावजूद इसके तमाम राजनीतिक दल और स्थानीय संगठनों की ओर से आंदोलन को किया जा रहा है। इस बीच मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने सख्त मूल निवास और भू कानून लागू करने की मांग को लेकर भू हड़ताल की चेतावनी दी है। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार अगले बजट सत्र में सख्त भू कानून का बिल लाने जा रही है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सश्क्त भू कानून और मूल निवास की मांग की जा रही है। सरकार की ओर से पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में भू कानून के लिए एक कमेटी भी गठित की गई थी…इस गठित भू कानून समिति ने सितंबर 2022 में धामी सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी थी।लेकिन शासन स्तर पर समिति की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं उत्तराखंड में समय समय पर भू कानून को लेकर संसोधन किए गए है..इसके तहत तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए। जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाता है। जिसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है…वहीं कांग्रेस का आरोप है कि राज्य के सख्त भू कानून को कमजोर करने का काम भाजपा सरकार ने किया है।
कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव के बीच राज्य में एक बार फिर सश्क्त भू कानून और मूल निवास के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। एक तरफ जहां सरकार सख्त भू कानून और मूल निवास लागू करने का दावा कर रही है तो वही दूसरी ओर इसकी मांग प्रदेशभर में तेज होती जा रही है। इस बीच गैंरसैँण में बुलाई गई बैठक के बाद भाजपा सख्त भू कानून लागू करने का दावा तो कर रही है लेकिन विपक्षी दलों को सरकार के इस दावे पर भरोसा नहीं है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या धामी सरकार राज्य में सश्कत भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने के लिए गंभीर है या नहीं