स्वास्थ्य, शिक्षा का सवाल, विपक्ष का बवाल !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में होने वाले आगामी चुनाव से पहले मुख्य विपक्षी दल यानि की कांग्रेस ने सरकार की टेंशन अपने विरोध प्रदर्शन से बढ़ा दी है। कांग्रेसियों ने पहले बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में सचिवालय का घेराव किया इसके बाद अब सैंकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने विधायक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राज्य के स्वास्थ्य एंव शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के आवास का घेराव किया है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। विधायक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में हुए इस घेराव में जमकर बवाल देखने को मिला. कांग्रेसियों का आरोप है कि मंत्री चुनाव में व्यस्त है, सरकार का ध्यान जनहित से जुड़े मुद्दों पर नहीं है। प्रदेश की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं सत्तापक्ष का आरोप है कि आने वाले चुनाव में सियासी लाभ लेने और मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए कांग्रेसी इस तरह के प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि धरातल पर सरकार की व्यवस्थाएं चाक चौबंद है। आयुष्मान योजना से हर व्यक्ति तक इलाज मुहैया कराया जा रहा है। आपको बता दें कि पहाड़ों में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति चिंतनीय है। हाल ही में आई स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ग्रामीण सीएचसी में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है.रिपोर्ट के मुताबिक पहाड़ों में 80 हजार की आबादी पर एक सीएचसी होनी चाहिए। इस लिहाज से देखें तो पहाड़ में 44 सीएचसी की कमी है। सवाल ये है कि आखिर कब राज्य की बदहाल शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सरकार सुधार करेंगी

 

पहाड़ प्रदेश उत्तराखंड में कांग्रेस ने ठंड के मौसम में सियासी पारे को गरमा दिया है। कांग्रेसियों ने पहले नशा नहीं रोजगार दो के तहत सचिवालय का कूच किया। इसके बाद अब राज्य की बदहाल स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मौर्चा खोल दिया है। कांग्रेसियों का आरोप है कि सरकार का ध्यान सिर्फ चुनाव जीतने और जिताने पर है। जबकि जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। इससे नाराज होकर विधायक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने राज्य के स्वास्थ्य एंव शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के आवास का घेराव किया…वहीं भाजपा का तर्क है कि मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए कांग्रेसी प्रदर्शन कर रहे हैं.

आपको बता दें कि पहाड़ों में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है। कई बार अधिकारियों और मंत्रियों के निरीक्षण में इसकी पोल खुल चुकी है। वहीं हाल ही में आई स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पुष्टि हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण सीएचसी में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. पहाड़ों में 80 हजार की आबादी पर एक सीएचसी होनी चाहिए। इस लिहाज से देखें तो पहाड़ में 44 सीएचसी की कमी है। हांलाकि सत्तापक्ष का तर्क है कि भाजपा के शासनकाल में स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। बावजूद इसके विपक्ष को नकारात्मक राजनीति करनी है

कुल मिलाकर निकाय चुनाव से पहले विपक्ष ने एक के बाद एक तमाम जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार की घेराबंदी तेज कर सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। हांलाकि सत्तापक्ष विपक्ष के आरोपों से इंकार करते हुए बेहतर व्यवस्था का दावा कर रहा है…हांलाकि जमीन हकीकत सरकार के दावों से विपरित हैं. इस बात का खुलासा स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में भी हो चुका है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार कबतक बदहाल स्वास्थ्य और शिक्षा व्यव्स्था में सुधार करती है

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