उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने सभी बड़े दांव चलने की तैयारी में है। अयोध्या में जहां राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां ने जोर पकड़ लिया है, तो दूसरी तरफ प्राण प्रतिष्ठा के महीने में ही यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट धामी सरकार को सौंपने जा रही है.. खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बात की पुष्टि की है। मुख्यमंत्री का कहना है कि कमेटी जनवरी माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी इसके बाद सरकार आगे की कार्रवाई शुरू कर जल्द से जल्द राज्य में यूसीसी को लागू करने की दिशा में कार्य करेगी…वहीं खबर आ रही है कि सरकार इसके लिए विशेष सत्र बुलाने पर भी विचार कर रही है, हांलाकि सरकार सत्र पर विचार करे इससे पहले ही सरकार की मुश्किलें राज्य आंदोलनकारियों ने बढ़ा दी है। उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारी अपनी 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की बहाली और चिन्हीकरण की प्रक्रिया अविलंब बहाल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं…..राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से विशेष सत्र बुलाकर आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षेतिज आरक्षण के बिल को पारित कराने की मांग की है। राज्य आंदोलनकारियों ने ऐसा ना होने पर आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी भी दी है…वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूसीसी के मद्दे पर जनता को उलझा रही है। ताकी चुनाव में बीजेपी को इसका लाभ मिल सके…..जबकि असल मुद्दों पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है। कांग्रेस ने सरकार से राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को पूरा करने की मांग की है…सवाल ये है कि एक तरफ तो सरकार यूसीसी की रिपोर्ट का इंतजार कर सत्र बुलाने की बात कह रही है तो दूसरी ओर राज्य आंदोलनकारियों की रिपोर्ट सरकार के पास है ऐसे में क्यों फिर सरकार राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है।
उत्तराखंड की धामी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में यूसीसी को लागू करने की तैयारी कर रही है..जनवरी महीने में यूसीसी के लिए गठित कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने जा रही है। जनवरी महीने में जहां अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी होगी तो दूसरी तरफ प्राण प्रतिष्ठा के महीने में ही यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट धामी सरकार को सौंपेगी….मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि कमेटी जनवरी माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी इसके बाद सरकार आगे की कार्रवाई शुरू कर जल्द से जल्द राज्य में यूसीसी को लागू करने की दिशा में कार्य करेगी…वहीं खबर आ रही है कि सरकार इसके लिए विशेष सत्र बुलाने पर भी विचार कर रही है, माना जा रहा है कि 500 पन्नों की रिपोर्ट में समिति ने ड्राफ्ट में मौजूदा कानून में संशोधन करने की जरूरत करने पर जोर दिया है। इस ड्राफ्ट में सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार देने की वकालत की गई है। साथ ही लिव इन रिलेशनशिप, तलाक, पैतृक व पति की संपत्ति में महिलाओं को समान अधिकार देने, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन व निजी स्वतंत्रता संबंधी बिंदु भी शामिल किए हैं
वहीं एक तरफ जहां सरकार यूसीसी के लिए सत्र बुलाने की तैयारी कर रही है तो दूसरी ओर सरकार की मुश्किलें राज्य आंदोलनकारियों ने बढ़ा दी है। उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारी अपनी 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की बहाली और चिन्हीकरण की प्रक्रिया अविलंब बहाल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं…..राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से विशेष सत्र बुलाकर आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षेतिज आरक्षण के बिल को पारित कराने की मांग की है। आपको बता दें कि धामी सरकार ने आठ सितंबर को विधानसभा सत्र में राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण विधेयक को पेश किया था….लेकिन विधेयक में कुछ संसोधन के लिए इसे प्रवर समिति को सौंपा गया था… इस समिति ने 9 नवंबर 2023 को अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को सौंप दी है….जिसके बाद अब मांग की जा रही है कि जल्द विशेष सत्र बुलाकर राज्य आँदोलनकारियों की इस मांग को पूरा किया जाए..
कुल मिलाकर नए साल पर धामी सरकार नया करने की तैयारी में है…सरकार की पूरी कोशिश है कि 2024 में यूसीसी को लागू किया जाए लेकिन सवाल ये है कि क्या इस बार राज्य में यूसीसी लागू होगा..क्या यूसीसी में सभी धर्मों को एक समान अधिकार देने की वकालत की गई होगी…इसके साथ ही क्या राज्य आंदोलनकारियों की मांग सरकार पूरी करेगी या अभी इंतजार और बढ़ाएगी.