उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में निकाय चुनाव की चर्चा अब एक बार फिर नए सिरे से शुरू हो गयी है. दअरसल उत्तराखंड राजभवन ने ओबीसी आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राजभवन की इस मंजूरी के बाद प्रदेश में निकाय चुनाव की राह खुल गई है। इस अध्यादेश की मंजूरी के बाद सरकार से लेकर संगठन तक जल्द निकाय चुनाव कराने का दावा कर रहे हैं. हालांकि निकाय चुनाव कब होंगे ये बताने की स्थिति में अभी भी सरकार नहीं है. वही विपक्ष का मानना है कि निकट भविष्य में सरकार निकाय चुनाव कराएगी इस पर कांग्रेस को अभी भी भरोसा नहीं है। बता दें कि राज्य में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सभी निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि की (ओबीसी) को आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही निकायों में ओबीसी के आरक्षण की अधिकतम 14 प्रतिशत की सीमा की बंदिश खत्म होने जा रही है। सरकार अब आबादी के मुताबिक, ओबीसी के लिए निकायवार आरक्षण तय कर सकती है। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार जल्द आरक्षण का प्रारूप जारी कर आपत्तियां आमंत्रित करेगी। आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद धामी सरकार बार-बार प्रशासकों के कार्यकाल को बढ़ाती रही और अब करीब एक साल बाद भी सरकार निकाय चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है। सरकार ने निकाय के साथ ही छात्र संघ चुनाव, सहकारिता और पंचायत के चुनाव भी टाल दिये हैं। ऐसे में विपक्ष का तर्क है कि हार के डर से सरकार कोई भी चुनाव नहीं कराना चाहती है। सवाल ये है कि आखिर क्यों ओबीसी आरक्षण की मंजूरी के बावजूद विपक्ष को सरकार पर भरोसा नहीं, आखिर अब तक सरकार निकाय चुनाव की स्थिति को क्यों साफ नहीं कर पाई है।
उत्तराखंड में निकाय चुनाव की राह खुल गई है. पिछले लंबे समय से राजभवन में विचाराधीन ओबीसी आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी मिल गई है. राजभवन की इस मंजूरी के बाद प्रदेश में निकाय चुनाव की राह खुल गई है। राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सभी निकायों में ओबीसी आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही निकायों में ओबीसी के आरक्षण की अधिकतम 14 प्रतिशत की सीमा की बंदिश खत्म होने जा रही है। सरकार अब आबादी के मुताबिक, ओबीसी के लिए निकायवार आरक्षण तय कर सकती है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी को स्थानीय निकायों में आरक्षण के लिए व्यवस्था तय की है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में आरक्षण का खाका तय करने के लिए एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का गठन किया था। इसके आधार पर सरकार मानसून सत्र में इस संबंध में विधेयक लेकर आई थी। विधेयक पर सदन में सहमति नहीं बनने के चलते उसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। इस बीच निकाय चुनाव के लिए प्रदेशभर में बढ़ते दबाव के चलते सरकार अध्यादेश लाई। वहीं आयोग की सिफारिश के अनुसार, ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाने की सिफारिश की गई है। मौजूदा समय में शहरी निकायों में कई स्थानों पर ओबीसी की संख्या न के बराबर है. वहीं अध्यादेश की मंजूरी के बाद अब ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा…वहीं विपक्ष का मानना है कि अभी भी जल्द राज्य में निकाय चुनाव होंगे इसका भरोसा उन्हें नहीं है
कुल मिलाकर राजभवन ने बहुप्रतीक्षित ओबीसी आरक्षण को मंजूरी देकर प्रदेश में निकाय चुनाव की राह खोल दी है.इस बीच भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम दलों की तैयारी भी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस 20 दिसंबर तक प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर लेगी. हालांकि कांग्रेस फिल्हाल ये मानने को बिल्कुल तैयार नही है कि जल्द राज्य में निकाय चुनाव होंगे.