उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा में होने वाले उपचुनाव के लिए तमाम राजनीतिक दलों की तैयारी तेज हो गई है. भाजपा-कांग्रेस के साथ ही तमाम अन्य क्षेत्रीय दलों ने चुनावी रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। सत्ताधारी दल भाजपा ने इस चुनावी दंगल को जीतने के लिए पांच कैबिनेट मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है। इसके अलावा पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 6 अक्टूबर को केदारनाथ जाने वाले हैं। जहां मुख्यमंत्री विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे..बता दें कि केदारनाथ उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. यही वजह है कि भाजपा नेकेदारनाथ उपचुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। इस बीच भाजपा के सदस्यता अभियान में हाथ पांव फूल रहे हैं। बताया जा रहा है कि केदारनाथ उपचुनाव से पहले भाजपा ने यहां सदस्यता अभियान के तहत 3000 नेताओं को सदस्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिन्होंने एक महीने में मात्र 17 हजार सदस्य ही बनाए हैं। जबकि पार्टी ने 30 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। वहीं भाजपा इसके पीछे कई तरह की वजह बता रही है जबकि विपक्ष का कहना है कि जनता भाजपा की कार्यप्रणाली को समझ चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ग्राफ लगातार गिर रहा है. ऐसे में भाजपा नेताओं को ढ़ूंढने से भी सदस्य नहीं मिल रहे हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि वह जीत को लेकर काफी आश्वस्त है। सवाल ये है कि क्या भाजपा की तैयारी कांग्रेस पर भारी पड़ेगी या फिर कांग्रेस मंगलौर और बद्रीनाथ की तरह केंदारनाथ में भी जीत दर्ज करेगी।
केदारनाथ उपचुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे तमाम राजनीतिक दलों की तैयारी तेज हो गई है। इसी के तहत भाजपा ने पार्टी के पांच कैबिनेट मंत्रियों को केदानारथ की जिम्मेदारी सौंपी है। लगातार ये मंत्री क्षेत्र में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के साथ ही जनता की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं. साथ ही जीत की रणनीति पर भी मंथन कर रहे हैं। इसके अलावा खबर है कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उपचुनाव के ऐलान से पहले केदारनाथ में अपना दम दिखाएंगे। CM धामी का 6 अक्टूबर को कार्यक्रम प्रस्तावित है, जहां CM धामी बड़ी जनसभा को भी संबोधित करेंगे। साथ ही स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुनकर उसका निदान भी करेंगे। वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पहुंचने से पहले ही सवालों की लिस्ट तैयार की है
आपको बता दें कि केदारनाथ से भाजपा विधायक शैला रानी रावत का 9 जुलाई को निधन हो गया था। जिसके बाद अब कभी भी उपचुनाव की घोषणा की जा सकती है। वहीं केदारनाथ उपचुनाव से पहले भाजपा ने यहां बड़े स्तर पर सदस्यता अभियान चलाया है जिसके तहत 3000 नेताओं को सदस्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिन्होंने एक महीने में मात्र 17 हजार सदस्य ही बनाए हैं। जबकि पार्टी ने 30 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। वहीं भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने बताया कि आजकल पहाड़ी क्षेत्र में कामकाज का सीजन चल रहा है लोग इन दिनों फसलें निकालने में व्यस्त हैं। इसलिए सदस्य बनाने में समस्या आ रही है. वहीं कांग्रेस इसके पीछे अलग तर्क दे रही है
कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव भाजपा-कांग्रेस के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण उपचुनाव है इस चुनाव नतीजे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनेंगे हांलाकि कांग्रेस जीत को लेकर काफी आश्वस्त है लेकिन भाजपा बद्रीनाथ और मंगलौर में मिली हार से बेहद चिंतित है ऐसे में सवाल ये है कि यदि केदारनाथ में भाजपा को सदस्य बनाने के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं तो ऐसे में भाजपा को वोटर कैसे मिलेंगे ये बड़ा सवाल है