मथुरा: आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाने वाला विश्व प्रसिद्ध मुड़िया मेला आज, धूमधाम के साथ निकाली गई शोभायात्रा

रिपोर्ट – सुशील चौधरी 

मथुरा – गुरु पूर्णिमा का पर्व हिन्दू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह परंपरा तब से चली आ रही है जब से भगवान कृष्ण भी गुरुकुल जा कर शिक्षा ग्रहण किया करते थे. हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है और इस दिन सभी शिष्य अपने गुरुओं की विधि विधान से पूजा करते है.

आखिर कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत 

दरअसल आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा का पर्व ब्रज में भी बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मथुरा के गोवर्धन में राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला भी आयोजित होता है और करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते है और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं. गुरु पूर्णिमा को ब्रज में मुड़िया पूर्णिमा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान कृष्ण के अवतार चैतन्य महाप्रभु के शिष्य और वृंदावन के छः प्रमुख गोस्वामियों में से एक श्री सनातन गोस्वामी ने अपना देह त्याग दिया था.

गुरु शिष्य परंपरा का अनूठा उदाहरण है मुड़िया पूर्णिमा मेला

सनातन गोस्वामी जीवन के अंतिम समय तक गोवर्धन की नित्य परिक्रमा किया करते थे. सनातन गोस्वामी प्रभु के अनन्य भक्त थे. जिन्होंने वृंदावन के मदनमोहन मंदिर के विग्रहों को प्रकट कर उनकी स्थापना की थी. जब गोस्वामी जी का देहांत हुआ तो उनके शिष्यों समेत सभी ब्रजवासियों ने अपना सर मुड़वा कर गोस्वामी जी के पार्थिव शरीर के साथ गोवर्धन की प्ररिक्रमा और वृंदावन के पास मदन मोहन मंदिर के पास उन्हें समाधि दी और करीब 500 वर्ष से भी अधिक समय से यही परंपरा ब्रज में चली आ रही है.

Mudiya guru purnima mela 2024 know when start history and importance 500 years old tradition govardhan mathura | मथुरा में लगेगा यूपी का सबसे बड़ा मुड़िया मेला, 465 साल पुराने मेले में

श्रद्धालु यहां आकर करते हैं गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा

करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते है और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाते है. गुरु पूर्णिमा को ब्रज में मुड़िया पूर्णिमा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान कृष्ण के अवतार चैतन्य महाप्रभु के शिष्य और वृंदावन के छः प्रमुख गोस्वामियों में से एक श्री सनातन गोस्वामी ने अपना देह त्याग दिया था.

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