KNEWS DESK – उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मस्जिद विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में मस्जिद के विरोध में महापंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें कई हिंदूवादी नेता शामिल हुए। इस दौरान सरकार से मस्जिद को हटाने की मांग की गई। महापंचायत के कारण उत्तरकाशी में बाजार और सब्जी मंडी बंद रही, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
बता दें कि उत्तरकाशी में मस्जिद विवाद पिछले चार महीने से शांत नहीं हो पाया है। इस मुद्दे को लेकर 24 अक्टूबर को संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ ने जनाक्रोश रैली निकाली थी। इस रैली के दौरान पथराव और लाठीचार्ज में 9 पुलिसकर्मी समेत 27 लोग घायल हो गए थे, जिसके बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई थी। अब इस विवाद को लेकर विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर देवभूमि विचार मंच ने महापंचायत का आयोजन किया है। वहीं, राज्य में इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ रही है। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और सरकार के इशारे पर महापंचायत का आयोजन किया गया है, जिससे राज्य का माहौल खराब हो रहा है। बता दें कि उत्तरकाशी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई कोर्ट में विचाराधीन है। याचिकाकर्ता ने महापंचायत पर रोक लगाने की मांग की थी। इस पर सरकार ने कोर्ट को बताया था कि महापंचायत की अनुमति सरकार ने नहीं दी थी। हालांकि, कुछ शर्तों के साथ महापंचायत की अनुमति जिला प्रशासन ने दे दी, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। सवाल ये है कि आखिर उत्तरकाशी में कब मस्जिद विवाद शांत होगा?
उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले उत्तरकाशी में एक बार फिर मस्जिद विवाद गहराया है। मस्जिद के विरोध में उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में महापंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें हिंदूवादी संगठनों ने सरकार से अवैध मस्जिद हटाने की मांग की है। महापंचायत के कारण उत्तरकाशी में तनाव का माहौल बना और बाजार बंद रहे। बता दें कि उत्तरकाशी चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। धामी सरकार अब 12 महीने चारधाम यात्रा को संचालित करने की तैयारी कर रही है, लेकिन इस बीच उत्तरकाशी में मस्जिद बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।
उत्तरकाशी में मस्जिद विवाद आरटीआई से मिली जानकारी के बाद शुरू हुआ था। आरटीआई के जरिए प्रशासन से जानकारी मांगी गई थी कि उत्तरकाशी में मस्जिद के लिए कौन सी जमीन स्वीकृत हुई है। प्रशासन ने बताया कि उत्तरकाशी में मस्जिद के लिए कोई भी जमीन स्वीकृत नहीं है, जबकि मुस्लिम संगठन 1969 से उत्तरकाशी में मस्जिद होने का दावा कर रहे हैं। अब राज्य में इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ रही है। उनका कहना है कि सरकार के इशारे पर महापंचायत का आयोजन किया गया है, जिससे राज्य का माहौल खराब हो रहा है।
कुल मिलाकर, एक ओर जहां सरकार राज्य में पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में एक के बाद एक सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की खबरों से राज्य की छवि खराब हो रही है। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है, और प्रदेश में तनाव का माहौल पनप रहा है। सवाल यह है कि आखिर क्यों इस तरह के विवाद को जन्म दिया जा रहा है? क्या सरकार के इशारे पर महापंचायत की अनुमति दी गई? और आखिरकार उत्तरकाशी का मस्जिद विवाद कब शांत होगा?
उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट