उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद अब नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं…पूर्व सीएम और पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत ने उपचुनाव में हार को लेकर कहा कि प्रत्याशी का चयन सही से नहीं हुआ। मैंने पहले भी इस बारे में संकेत दिया था। उन्होंने ये भी कहा कि प्रदेश में कार्यकर्ताओं को सही सम्मान नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अब केदारनाथ में उपचुनाव होना है ऐसे में प्रत्याशी चयन में हमें और समझदारी दिखानी होगी। सभी से बातचीत करते हुए फैसला लें. थोपने का काम ना करें। उन्होंने कहा कि, अब तो जनता आगे बढ़ गई, हम पीछे हो गए। उन्होने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर इशारो ही इशारों में पलटवार करते हुए कहा कि जो मंच पर बैठे हैं, कोई बड़े आदमी नहीं है। आज तू है तो कल मैं हूं। सबसे पीछे वाला आगे आ जाए और आगे वाला पीछे चला जाए। कहीं भी बैठो, जमीन मत छोड़ो। वहीं तीरथ सिंह रावत के इस बयान के बाद भाजपा बैकफुट पर आ गई है। भाजपा का कहना है कि जो भी सुझाव आए हैं। उसपर मंथन किया जाएगा। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा में सबकुछ आल इज वेल नहीं है। भाजपा नेताओं के भीतर काफी नेतृत्व के प्रति काफी नाराजगी है। और अब धीरे धीरे ये नाराजगी ज्वालामुखी बनकर फूट रही है। कांग्रेस का दावा है कि जैसे उन्होने मंगलौर और बद्रीनाथ का उपचुनाव जीता है। वैसे ही वह केदारनाथ का भी उपचुनाव जीतेंगे सवाल ये है कि क्या तीरथ सिंह रावत ने पार्टी की सच्चाई को उजागर कर दिया है। क्या भाजपा में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है।
उत्तराखंड में भाजपा ने हार जीत पर मंथन शुरू कर दिया. देहरादून में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बड़ी बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 1350 से ज्यादा पदाधिकारी मौजूद रहे। वहीं इस बैठक में प्रदेश की दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा की गई. साथ ही केदारनाथ में होने वाले उपचुनाव के साथ ही आगामी निकाय और पंचायत चुनाव की रणनीति पर भी मंथन किया गया। वहीं बैठक में पूर्व सीएम और पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत ने उपचुनाव में हार को लेकर कहा कि प्रत्याशी का चयन सही से नहीं हुआ। उन्होने कहा कि प्रदेश में कार्यकर्ताओं को सही सम्मान नहीं मिल रहा है. अब केदारनाथ में उपचुनाव होना है ऐसे में प्रत्याशी चयन में हमें और समझदारी दिखानी होगी। सभी से बातचीत करते हुए फैसला लें. थोपने का काम नहीं होना चाहिए। वहीं तीरथ के बयान के बाद भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा में सबकुछ आल इज वेल नहीं है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड की मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। जिसमें भाजपा ने दोनों सीटों पर बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। मंगलौर से भाजपा ने करतार सिंह भड़ाना को प्रत्याशी घोषित किया था। करतार सिंह भड़ाना कपड़ों की तरह पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही वह हरियाणा और यूपी से चुनाव लड़ चुके हैं. जबकि बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के विधायक राजेंद्र भंडारी को भाजपा में शामिल कर उन्हें प्रत्याशी घोषित किया जिसके बाद राजेंद्र भंडारी और करतार सिंह भड़ाना उपचुनाव हार गये.. वहीं अब केदारनाथ विधानसभा का उपचुनाव होना है जिसके लिए अब दोनों ही दलों में मंथन शुरू हो गया है।
कुल मिलाकर तीरथ सिंह रावत का बयान भाजपा के शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ाने वाला बयान है साथ ही पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी इस बयान पर मंथन करने की जरूरत है। वहीं तीरथ के बयान के बाद कई नेता भी उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा तीरथ के बयान को गंभीरता से लेगी। क्या भाजपा में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।