भू कानून भारी ,विपक्ष का विरोध जारी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भाजपा सरकार ने नया भू-कानून पास किया है, लेकिन यह कानून सिर्फ 11 जनपदों के लिए लागू किया जाएगा जबकि दो जनपदों हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में पहले से ही लागू कानून जारी रहेगा। ऐसे में विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर है और सवाल उठा रही है कि एक राज्य में दो भू कानून कैसे लागू किए जा सकते हैं? कांग्रेस इसे भाजपा की सोची-समझी दोहरी रणनीति बता रही है। यही नहीं कांग्रेस 11 जनपदों में लागू किए गए भू-कानून को भी बहुत कमजोर बता रही है। इस भू-कानून से पहाड़ी इलाकों में पलायन की समस्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है और मैदान के जिलों हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर में भविष्य में होने वाले परिसीमन के कुप्रभाव की भी आशंका जता रही है। दूसरी ओर भाजपा नए भू-कानून को राज्य के हित में लागू किया गया अहम कानून बता रही है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस हर अच्छे काम का विरोध करती है। इसका खामियाजा समय-समय पर कांग्रेस को भुगतना पड़ता है। भाजपा ने राज्य में सशक्त भू-कानून लागू किया है। कहीं न कहीं पक्ष और विपक्ष दोनों भू-कानून को लेकर आमने-सामने हैं। भाजपा का कहना है कि भू-कानून की लंबे समय से मांग हो रही थी, इसे लागू करने से पहले स्टेक होल्डर के साथ ही कई लोगों से सुझाव लिए गए। जिलाधिकारियों के माध्यम से सभी जिलों से भी सुझाव लिए गए थे।

विगत 18 फरवरी से 22 फरवरी तक देहरादून विधानसभा में बजट सत्र का आयोजन किया गया। इस बजट सत्र के दौरान जहां तमाम मुद्दों पर सदन में चर्चा हुई वहीं, हंगामे के बीच भाजपा की धामी सरकार ने नया भू कानून पास किया है। भाजपा जहां इसे राज्य के हित में बता रही है वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि छोटे से 13 जनपदों में और दो मंडलों के प्रदेश में दो अलग-अलग भू कानून कैसे लागू किए जा सकते हैं। बता दें कि हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में नया भू-कानून लागू नहीं होगा जबकि सबसे अधिक जमीनें इन्हीं दोनों जनपदों में हैं और यह दोनों जनपद उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हैं। कहीं न कहीं भाजपा भू-कानून को लेकर दोहरी रणनीति अपना रही है। कांग्रेस नए भू-कानून को कमजोर बताने के साथ ही पूरे राज्य में एक जैसा सशख्त भू-कानून लागू करने की बात कह रही है।

दरअसल, विधानसभा सत्र में प्रदेश में सख्त भू-कानून के लिए उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 विधेयक को पारित किया गया है। इस नए कानून को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। भाजपा सरकार ने राज्य के भू कानून को और अधिक कमजोर किया है। वहीं कांग्रेस के इन आरोपों का बीजेपी ने खंडन किया है भाजपा का कहना है कि कांग्रेस का कार्य सिर्फ विरोध करना रह गया है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद अधिकांश कानून राज्य में उत्तर प्रदेश के ही लागू किए गए हैं, हालांकि समय-समय पर इन कानूनों में संशोधन किए गए हैं, लेकिन नए भू कानून से राज्य में कहीं न कहीं जमीनों की खरीद-फरोख्त की दोहरी व्यवस्था लागू हो गई है। उक्रांद के अनुसार पहले तो यह भू-कानून है ही नहीं, भाजपा सरकार को सख्त भू-कानून लागू किया जाना चाहिए। 2003 में लागू भ-कानून में सरकार ने एक संशोधन कर 11 जिलों को पहले से लागू कानून से अलग किया गया है और दो जिलों में पहले से ही लागू कानून यथावत रखा गया है।

नया भू कानून लागू होने के बाद उत्तराखंड के हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर 11 जनपदों में कोई भी बाहरी व्यक्ति कृषि और उद्यान की भूमि नहीं खरीद पाएंगे। अभी तक उत्तराखंड में बाहर के लोग बिना मंजूरी के 250 वर्ग मीटर और मंजूरी लेकर साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि कृषि और उद्यान के लिए पूरे राज्य में खरीद सकते थे। भाजपा सरकार के अनुसार राज्य की जनता की लंबे समय से चली आ रही सख्त भू कानून की मांग को पूरा किया गया है। इस कानून से राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के हितों की रक्षा करेगा। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस इसे कमजोर कानून करार दे रही है और एक राज्य में दो-दो भू-कानून होने पर तमाम सवाल खड़े कर रही है।