रिपोर्ट – सुशील चौधरी
मथुरा – हरियाली तीज पर्व के साथ ही ब्रज में झूलन उत्सव की शुरुआत हो गई। झूलन उत्सव में ब्रज के मंदिरों में भगवान को अलग अलग तरीके से बने झूले में विराजमान किया जाता है। भगवान बांके बिहारी जी को सोने चांदी से बने झूला में विराजमान किया गया है|
बांके बिहारी जी का जैसा यह झूला विश्व में कहीं और नहीं
आपको बता दें कि भगवान बांके बिहारी वर्ष में एक बार हरियाली तीज के अवसर पर सोने चांदी से बने झूला में विराजमान होते हैं। 1947 में बने इस झूले में इस वर्ष बांके बिहारी जी 78 वीं बार विराजमान हुए। कहा जाता है कि भगवान बांके बिहारी जी का जैसा यह झूला विश्व में कहीं और नहीं है। जन-जन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज हिंडोला पर्व पर सुबह शाम दोनों समय सोने चाँदी के बहुमूल्य भव्य झूले में झूलते हुये भक्तों को दर्शन सुख प्रदान कर रहे हैं। आराध्य के झूले को सजाने की प्रक्रिया मंदिर में बुधवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त तक चली।लगभग 100 भक्तों के समूह द्वारा बड़े भावपूर्वक इसके प्रत्येक हिस्से की साफ सफाई करके तकरीबन सवा सौ भागों में विभाजित इस अनूठे झूले को इसका दर्शनीय स्वरूप प्रदत्त किया।
बांके बिहारी जी बाल स्वरूप में भक्तों को दर्शन
हरियाली तीज के अवसर पर मंदिर परिसर में हरियाली सजावट करते हुये लाइटिंग, झालर, तोरण सहित अन्य साजो सामान की सामग्री प्रयोग की गई। पूरा मंदिर परिसर हरितीमा युक्त नजर आया। भगवान बांके बिहारी जी के दर्शन जैसे ही खुले वैसे ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। बांके बिहारी जी का झूला जितना सुंदर और आकर्षक है उतनी ही सुंदर उनकी सुख सेज है। बांके बिहारी जी बाल स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। यही वजह है झूलते हुए जब वह थक जाते हैं तो उनको सुख सेज पर विश्राम कराया जाता है।
भगवान बांके बिहारी जी का झूला बेहद ही वेश कीमती
इस सुख सेज पर भगवान के लिए श्रृंगार की पिटारी के अलावा बीड़ा, जल भी रखा जाता है। इसके अलावा एक दर्पण भी सुख सेज पर रखा जाता है। भगवान बांके बिहारी जी का झूला बेहद ही वेश कीमती है। भगवान बांके बिहारी जी का झूला सागवान की लकड़ी से बना है। इसके ऊपर एक लाख तोला चांदी और एक हजार तोला सोना लगा हुआ है। झूले के दोनों तरफ आदम कद सखियां खड़ी होती हैं जो पंखा झलकाती रहती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर सोने चांदी से बने झूला में विराजमान भगवान बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंच गए। बांके बिहारी के दर्शन कर आनंद में सराबोर हो गए।