मदरसों का मुद्दा गरमाया, जिलाधिकारियों को दिल्ली बुलाया !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, लोकसभा चुनाव के बीच देवभूमि उत्तराखंड में मदरसों का मुद्दा गरमा गया है। दअरसल राज्य के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने देहरादून के कुछ मदरसों के औचक निरीक्षण में इसका खुलासा हुआ है। निरीक्षण में उन्होंने पाया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से बच्चों को यहां लाकर मदरसों में पढ़ाया जा रहा है। मदरसों के निरीक्षण के बाद आयोग ने बच्चों के अधिकारों से जुड़े मसले पर विभिन्न 14 विभागों के साथ बैठक की। बैठक में यह बात सामने आई कि राज्य में मदरसों की मैपिंग में जिलाधिकारियों की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है। जिसके बाद आयोग ने इस मामले में अब सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की ओर से जारी समन में कहा गया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से आयोग के ध्यान में लाया गया कि बार-बार पत्राचार के बावजूद मदरसों की मैपिंग की कार्रवाई नहीं की जा रही है। बता दें कि उत्तराखंड में मदरसों की मैपिंग न करने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। जिसके तहत छह जिलों के जिलाधिकारियों को सात जून बाकी अन्य जिलाधिकारियों को 10 जून को आयोग में पेश होना होगा। बिना किसी वैध वजह के आयोग में पेश न होने पर संबंधित के खिलाफ सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा जनहित से जुड़े मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सरकार हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे को भुना रही है। सवाल ये है कि आखिर क्यों मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

 

देवभूमि उत्तराखंड के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों के पढ़ने का मुद्दा गरमा गया है। दअरसल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की ओर से देहरादून के कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण किया गया.. जिसमें पता चला कि उत्तराखंड के मदरसों में उत्तर प्रदेश और बिहार से लाकर बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं। निरीक्षण के दौरान केवल दो मदरसों में इस तरह के 21 बच्चे मिले हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि राज्य के मदरसों में मौजूदा समय में 196 बच्चे हिंदू और गैर इस्लामिक धर्मों के पढ़ रहे हैं। हिंदू बच्चों कों मदरसों में पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र और राज्य की मूल अवधारणा के विपरीत है। इसके लिए अल्पसंख्यक और शिक्षा विभाग बराबर के भागीदार हैं। आयोग को यह भी शिकायत मिली कि मदरसों की मैपिंग में डीएम सहयोग नहीं कर रहे।

 

आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब इस मामले में सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की ओर से जारी समन में कहा गया है कि बार-बार पत्राचार के बावजूद मदरसों की मैपिंग की कार्रवाई नहीं की जा रही है। बता दें कि उत्तराखंड में मदरसों की मैपिंग न करने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। जिसके तहत छह जिलों के जिलाधिकारियों को सात जून बाकी अन्य जिलाधिकारियों को 10 जून को आयोग में पेश होना होगा। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा जनहित से जुड़े मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सरकार हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे को भुना रही है। वहीं भाजपा कांग्रेस पर पलटवार करती हुई नजर आ रही है।

 

कुल मिलाकर देवभूमि उत्तराखंड के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों के पढ़ने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इससे पहले साल 2023 में आई एक रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ था कि प्रदेश के मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। वहीं अब एक बार फिर से यह मुद्दा गरमाता जा रहा है। इस बीच प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों की ओर से मदरसों की मैपिंग न करने पर आयोग ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों प्रदेश के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने के मामले सामने आ रहे है, आखिर क्यों राज्य के जिलाधिकारी मदरसों की मैपिंग नहीं कर रहे हैं

 

 

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