KNEWS DESK- हरियाणा में पराली जलाने के मामलों को लेकर सरकार की कार्रवाई लगातार जारी है, जिसमें किसानों, कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट भी राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठा चुका है, लेकिन पिछले दस वर्षों में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
आंकड़ों में गिरावट
2013 में हरियाणा में पराली जलाने के 17,620 मामले सामने आए थे, जबकि 2023 में यह संख्या घटकर 2,303 रह गई है, जो कुल 87% की कमी दर्शाता है। साल 2024 में 22 अक्टूबर तक, केवल 665 मामले सामने आए हैं, जो पिछले पांच वर्षों में इस समय तक की सबसे कम संख्या है। पिछले वर्षों में, पराली जलाने के मामलों की संख्या इस प्रकार रही:
- 2020: 1,326 मामले
- 2021: 1,368 मामले
- 2022: 771 मामले
- 2023: 689 मामले
कृषि विभाग की पहल
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में लगभग 72 लाख टन पराली का निष्पादन किया गया। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय अधिकारियों की मांग के अनुसार, 10,588 सुपर सीडर और 1,405 बेलिंग यूनिट्स उपलब्ध कराई गई हैं। एक नो स्ट्रॉ बर्निंग व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया है, जिसमें सभी विभाग के अधिकारी अपडेट रहते हैं।
भविष्य की योजनाएं
2024 में भी पराली जलाने से रोकने के लिए पुख्ता तैयारी की गई है। प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार, कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 320 करोड़ रुपये की योजना लागू की है, जिसका लक्ष्य पराली जलाने के मामलों को शून्य तक पहुंचाना है। इस योजना में 67 गांवों को रेड जोन और 402 गांवों को यलो जोन में शामिल किया गया है। रेड जोन गांवों में अस्थायी चौकियों और नोडल ऑफिसरों की तैनाती की गई है।
लक्ष्य और निगरानी
राज्य में धान की फसल का रकबा 38.87 लाख एकड़ है, जिसमें 81 लाख टन पराली के निष्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, रोहतक, कैथल, यमुनानगर, सोनीपत और पलवल जिलों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में यह कमी न केवल राज्य सरकार की प्रभावी नीतियों का परिणाम है, बल्कि किसानों और कृषि विभाग के सामूहिक प्रयासों का भी परिणाम है। हालांकि, पूर्ण समाधान के लिए अभी और प्रयासों की आवश्यकता है।
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