अभी नहीं जागे, तो खतरा बढ़ेगा आगे !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव से पहले राज्य में केदारनाथ से जुड़े मुद्दों पर सियासत जारी है। इसी के तहत  कांग्रेस ने केदारनाथ में भारी निर्माण के विरोध में कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। कांग्रेस का आरोप ये है कि भाजपा पर्यावरण की अंदेखी कर रही है। जिससे भविष्य में भारी नुकसान हो सकता है। कांग्रेस ने केदारनाथ में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर एतराज जताते हुए कहा है कि पार्टी इस मुद्दे पर विधिक राय के साथ भू-विज्ञानियों से चर्चा करने के बाद कोर्ट का रास्ता इख्तियार करेगी। वहीं एक ओर जहां कांग्रेस पर्यावरण की अंदेखी को बेहद खतरनाक बता रही है तो वहीं दूसरी ओर पर्यावरणविद और भू वैज्ञानिकों ने भी पहाड़ों में बहुमंजिला ईमारतों के बनने और पेड़ों के कटान को भविष्य के लिए नुकसानदायक बताया है। बता दे कि उत्तराखंड में आपदाएं लगातार आती रहती है मौजूदा समय में भी पूरे प्रदेशभर में आपदा ने भारी नुकसान किया है। सरकारी आंकड़ों पर ही नजर डाले तो 250 से ज्यादा सड़कें बंद पड़ी है। वहीं मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को दो दिनों के भीतर इन बंद मार्गों को खोलने के निर्देश दिये हैं। इतना ही नहीं भाजपा सरकार का दावा है कि वह आपदा प्रबंधन में नंबर-1 है…सरकार के कुशल प्रबंधन से अन्य राज्य भी सीख ले रहे हैं।

 

केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने धामी सरकार की टेंशन एक बार फिर बढ़ा दी है दअरसल कांग्रेस ने केदारनाथ में भारी निर्माण के विरोध में कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। कांग्रेस का आरोप ये है कि भाजपा पर्यावरण की अंदेखी कर रही है। जिससे भविष्य में भारी नुकसान हो सकता है। कांग्रेस ने केदारनाथ में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर एतराज जताते हुए कहा है कि पार्टी इस मुद्दे पर विधिक राय के साथ भू-विज्ञानियों से चर्चा करने के बाद कोर्ट का रास्ता इख्तियार करेगी। वहीं एक ओर जहां कांग्रेस पर्यावरण की अंदेखी को बेहद खतरनाक बता रही है तो वहीं दूसरी ओर पर्यावरणविद और भू वैज्ञानिकों ने भी पहाड़ों में बहुमंजिला ईमारतों के बनने और पेड़ों के कटान को भविष्य के लिए नुकसानदायक बताया है।

आपको बता दे कि उत्तराखंड में आपदाएं लगातार आती रहती है मौजूदा समय में भी पूरे प्रदेशभर में आपदा ने भारी नुकसान किया है। सरकारी आंकड़ों पर ही नजर डाले तो 250 से ज्यादा सड़कें बंद पड़ी है। वहीं मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को दो दिनों के भीतर इन बंद मार्गों को खोलने के निर्देश दिये हैं। इतना ही नहीं भाजपा सरकार का दावा है कि वह आपदा प्रबंधन में नंबर-1 है…वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार के दावे हवा हवाई है.

कुल मिलाकर राज्य में लगातार आ रही छोटी बड़ी आपदाओं ने सरकार के साथ ही आम लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। 11वां हिमालयी राज्य उत्तराखंड 2013 की केदारनाथ आपदा से अबतक उभर नहीं पाया है। बावजूद इसके पहाड़ों पर बेतहाशा बहुमंजिला ईमारतों का बनना, पेड़ों का कटान होने के साथ ही वैज्ञानिकों की चेतावनियों को अंदेखा करना राज्य के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है। देखना होगा सरकार पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों की राय को कब गंभीरता से लेती है

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