Knews Desk, उत्तराखंड में एक बार फिर सशक्त भूकानून लागू करने की मांग तेज हो गई है, दअरसल राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीशरावत ने भू कानून को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकारबनते ही राज्य में सश्क्त भू कानून लागू किया जाएगा। इसके साथ ही कांग्रेस भू-कानून बनाकर लोगों सेजरूरत से ज्यादा जमीन वापस भी ले लेगी….वहीं हरीश रावत के इस दावे पर राज्य मेंसियासत गरमा गई है। भाजपा का कहना है कि हरीश रावत कांग्रेस की सरकार बनने का केवल ख्वाब देख रहे हैं। आपको बतादें कि उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सश्क्त भू कानून और मूल निवास लागू करने की मांग कर रहेहैं। राज्य आंदोलनकारी भी सरकार से इस मुद्दे पर कार्रवाई की मांग का दबाव बना रहेहैं। वहीं इस बीच उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की एक बड़ी मांग राजभवन ने पूरीकी है। दअरसल उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के विधेयक को राजभवन ने मंजूरी देदी। विधानसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक फरवरी से राजभवन में विचाराधीन था। राजभवन की मंजूरी के बाद राज्यआंदोलनकारियों को इस संबंध में शासनादेश जारी होने काइंतजार है सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड में सश्क्त भू लागू होगा
देवभूमि उत्तराखंड में सश्क्तभू कानून लागू करने की मांग फिर तेज हो गई है। दअरसल राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीशरावत ने भू कानून को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकारबनते ही राज्य में सश्क्त भू कानून लागू किया जाएगा। इसके साथ ही कांग्रेस भू-कानून बनाकर लोगों सेजरूरत से ज्यादा जमीन वापस भी ले लेगी….वहीं हरीश रावत के इस दावे पर राज्य मेंसियासत गरमा गई है। भाजपा का कहना है कि हरीश रावत कांग्रेस की सरकार बनने का केवलख्वाब देख रहे हैं। हरीश रावत ने अपने कार्यकाल में सश्क्त भू कानून लागू क्योंनहीं किया
आपको बता दें कि उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सश्क्त भू कानून और मूल निवास का मुद्दा गरमाता जा रहाहै। सरकार की ओर से पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में भू कानून के लिए एक कमेटी भी गठित की गई थी…इसगठित भू कानून समिति ने सितंबर 2022 में धामी सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी थी।लेकिन शासन स्तर पर समिति की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं उत्तराखंड में समय समय पर भू कानून को लेकर संसोधन किए गए है..इसके तहत तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए। जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाता है। जिसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है वहीं इसबीच उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारीसेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के विधेयक को राजभवनने मंजूरी दे दी। विधानसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक फरवरी से राजभवन मेंविचाराधीन था। छह महीने तक विधेयक के सभी विधिक एवं तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करनेके बाद राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने इसपर हस्ताक्षर किए है।
कुल मिलाकर हरीश रावत ने एक बार फिर अपने बयानसे सश्क्त भू कानून के मुद्दे को गरमा दिया है। वहीं राज्य में सश्क्त भू कानून और मूलनिवास को लेकर राज्य में आंदोलन गतिमान है। सवाल ये है कि क्या धामी सरकार राज्य में सश्कत भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने के लिएगंभीर है या नहीं उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट