रिपोर्ट – कान्ता पाल
नैनीताल – उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जोशीमठ में हुए भू-धंसाव को लेकर अल्मोड़ा निवासी पीसी तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख दी है|
जोशीमठ की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी है
आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू-धंसाव को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी की जनहित याचिका में पर सुनवाई की| जिसमें NDMA की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि उन्होंने जोशीमठ की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने स्टेट्स रिपोर्ट याचिकाकर्ता सहित अन्य रिस्पांडेंट को उपलब्ध कराने को कहा है ताकि वे उसका अध्ययन कर राज्य सरकारं को अपने सुझाव दे सके।
परियोजना जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान एनटीपीसी की तरफ से प्रार्थनापत्र देकर कहा गया कि उन्हें जोशीमठ में निर्माण कार्य व ब्लास्ट करने की अनुमति दी जाए। क्योंकि उनकी परियोजना जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर है। इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इनकी परियोजना 1. 5 किलोमीटर दूरी पर है। इसलिए इन्हें ब्लास्ट की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिस पर कोर्ट ने दोनों से एनडीएमए के पास जाने को कहा था। एनडीएमए ने कोर्ट को बताया कि उसने अंतिम सिफारिश तैयार कर ली है और राज्य को निर्णय लेने के लिए भेज दिया है।
सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी
बता दें कि अल्मोड़ा निवासी उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी नेता पीसी तिवारी ने 2021 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं और सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो आपदा आने से पहले उसकी सूचना दे। वहीं उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट अभी तक काम नहीं कर रहे हैं जिस वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती।