गैरसैँण नहीं खास, हरीश का उपवास !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की धामी सरकार ने मानसून सत्र की तैयारी तेज कर दी है। सत्र के लिए अब एक सप्ताह से भी कम का समय शेष रह गया है। मानसून की बारिश के बीच पहाड़ी क्षेत्र गैरसैँण के भराडीसैण स्थित विधानसभा में सत्र आयोजित कराना सरकार के लिए बेहद चुनौतिपूर्ण है। हांलाकि सरकार पूरी तैयारी का दावा कर रही है। वहीं विपक्ष सत्तापक्ष से सत्र की अवधि को कम से कम 15 दिनों तक चलाने की मांग पर अड़ा हुआ है। विपक्ष का तर्क है कि आपदा, बेरोजगारी, महंगाई, बदहाल कानून व्यवस्था समेत राज्य के सभी विधायकों के सवालों के जवाब के लिए सरकार को सत्र की अवधि बढ़ानी होगी। वहीं एक तरफ जहां कांग्रेस के विधायक सदन के भीतर सत्तापक्ष को राज्य के तमाम मुद्दों को लेकर घेरने की कोशिश करेंगे तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत सड़क पर राज्य सरकार के खिलाफ उपवास पर बैठेंगे। हरीश रावत का कहना है कि भाजपा ने गैरसैँण की उपेक्षा की है और गैरसैँण का अपमान किया है। कांग्रेस के शासनकाल के बाद गैरसैण में विकास के कोई कार्य नहीं किये। इसके विरोध में वह उपवास पर बैठने जा रहे हैं। वहीं हरीश रावत के इस उपवास पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा का कहना है कि हरीश रावत को मीडिया में सुर्खियां बटोरने की आदत है। जबकि भाजपा ने ही गैरसैण का विकास किया है। गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के साथ ही अन्य कार्य भाजपा सरकार के राज में हो रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर राज्य गठन के 24 साल बाद भी गैरसैण के नाम पर सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की ही राजनीति क्यों हो रही है। 

 

देवभूमि उत्तराखंड में एक बार फिर गैरसैण के मुद्दे पर सियासी घमासान छिड़ गया है। दअरसल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे हैं। दअरसल हरीश रावत 21 अगस्त को गैरसैण में उपवास पर बैठेंगे। हरीश रावत का आरोप है कि भाजपा ने गैरसैण की उपेक्षा की है। गैरसैण में जो विकास कार्य कांग्रेस शासनकाल में हुए उससे आगे भाजपा ने कोई कार्य नहीं किये। हरीश रावत का कहना है कि भाजपा ने गैरसैण का अपमान और गैरसैण की उपेक्षा की है। वहीं हरीश रावत के इन आरोपों पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि हरीश रावत को मीडिया की सुर्खियों में बने रहना पसंद है। जबकि गैरसैँण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा भाजपा सरकार ने दिया है। वहीं यूकेडी भाजपा-कांग्रेस पर गैरसैण के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है।

 

आपको बता दें कि गैरसैँण के भराडीसैंण स्थित विधानसभा भवन में धामी सरकार 21 अगस्त से मानसून सत्र का आयोजन करने जा रही है। सरकार का दावा है कि मानसून सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है.उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने बताया कि विधानसभा सचिवालय को अब तक 499 प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं..वहीं संसदीय कार्यमंत्री डा प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्षी दलों से उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र को शांतिपूर्ण तरीके से चलाने में सरकार के सहयोग की अपील की है। वहीं विपक्ष सरकार से सत्र की अवधि को बढ़ाने की मांग कर रहा है।

 

 

कुल मिलाकर राज्य में 24 वर्ष बाद भी गैरसैण के मुद्दे पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर जहां भाजपा गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही है। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस गैरसैण में विधानसभा भवन बनाने के साथ ही अन्य कार्यों को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही है। हांलाकि गैरसैण को राज्य की स्थाई राजधानी अबतक क्यों नहीं बनाया गया। इसपर दोनों ही दल खामोश है। देखना होगा गैरसैण पर जारी सियासत कब थमेगी।

 

 

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