पहले वोट को सपोर्ट,अब मलिन बस्तियों में खोट !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारियों से पहले अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी कड़ी में दून में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत प्रशासन की कार्रवाई गतिमान है। अब तक 50 से अधिक अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। आपको बता दें कि एनजीटी के आदेश पर नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने चूना भट्टा और दीपनगर बस्ती में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। इस दौरान भारी विरोध का सामना अधिकारियों को करना पड़ा। स्थिति ये हुई की ध्वस्तीकरण के लिए जो मकान चिन्हित थे, उनमें रह रहे लोगों ने बाहर निकलने से इनकार कर दिया। इस पर पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें बाहर निकाला। आपको बता दें कि एमडीडीए और नगर निगम की टीम ने बीते दिनों सर्वे कर रिस्पना नदी किनारे 525 मकान चिन्हित किए थे। यहां अधिकतर मकान 11 मार्च 2016 के बाद बनाए गए हैं, जिनको अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा गया है। वहीं कांग्रेस ने सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कांग्रेस का कहना है कि वह इस मामले में कानूनी राय पर भी विचार कर रही है।  कांग्रेस का कहना है कि जनता निकाय चुनाव में इस कार्रवाई का बदला लेगी। वहीं माना जा रहा है कि प्रदेश में अब सितंबर-अक्टूबर में ही निकाय चुनाव हो सकेंगे…सरकार का तर्क है कि लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने के चलते निकाय चुनाव में देरी हो रही है। हालांकि निकाय चुनाव से पहले पंद्रह सितंबर तक प्रदेश में मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा के लिए भी उपचुनाव होना है, ऐसे में देखें तो नगर निकाय चुनाव की बारी इसके बाद ही आ पाएगी। जबकि, जुलाई-अगस्त में मानसून के कारण चुनाव कराने में दिक्कतें हो सकती है। सवाल ये है कि आखिर क्यों चुनाव से पहले बार-बार मलिन बस्तियों का मुद्दा गरमाता है। क्या मलिन बस्तियों के बहाने भाजपा-कांग्रेस राजनीतिक रोटियां सेक रहे है।

वीओ- राजधानी देहरादून में एक बार फिर अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत हो गई है। सूर्य की बढ़ती तपिश के बीच बेघर होते लोग अपने भविष्य के लिए चिंतित है। मेहनत की कमाई से बनाए गये आशियाने को उजड़ता देख पीड़ितों की आँखों से आँसू रुक नहीं रहे हैं। स्थिति ये हुई की ध्वस्तीकरण के लिए जो मकान चिन्हित थे, उनमें रह रहे लोगों ने बाहर निकलने से इनकार कर दिया। इस पर पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें बाहर निकाला। प्रशासन की कार्रवाई के दौरान अकेले ही लोग जेसीबी से अपने आशियाने को टूटते हुए देखते रहे। इस दौरान किसी राजनीतिक दल ने प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध नहीं किया। प्रशासन ने अब तक 50 से अधिक अवैध अतिक्रमण ध्वस्त किए हैं। हालांकि मलिन बस्ती के मुद्दे पर राजनीति जरूर गरमा गई है

आपको बता दें कि एमडीडीए और नगर निगम की टीम ने बीते दिनों सर्वे कर रिस्पना नदी किनारे 525 मकान चिन्हित किए थे। यहां अधिकतर मकान 11 मार्च 2016 के बाद बनाए गए हैं, जिनको अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा गया है। वहीं निकाय चुनाव से पहले अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध हुई इस कार्रवाई पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस ने इस कार्रवाई के विरूद्ध नगर निगम का घेराव किया। इसके साथ ही कांग्रेस का कहना है कि वह इस मामले में कानूनी पहलुओं पर भी विचार कर रही है साथ ही कांग्रेस का कहना है कि निकाय चुनाव में जनता भाजपा को इस कार्रवाई का जवाब देने वाली है…बता दें कि सितंबर-अक्टूबर में ही निकाय चुनाव हो सकेंगे..निकाय चुनाव के दंगल को जीतने के लिए सभी दलों ने जीत के दावे भी तेत कर दिए हैंकुल मिलाकर प्रदेश में एक बार फिर निकाय चुनाव से पहले मलिन बस्तियों के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। सवाल ये है कि हर बार चुनाव से पहले मलिन बस्तियों का मुद्दा क्यों गरमाया जाता है। आखिर क्यों समय रहते प्रशासन अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं करता। सवाल ये भी है कि आखिर सरकार क्यों स्थाई समाधान नहीं निकालती. सवाल ये भी है कि सरकार ने समय रहते निकाय चुनाव के लिए तैयारी क्यों नहीं की

 

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