रिपोर्ट – दीपक कुमार
उत्तर प्रदेश – पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती जब भी मन में पढ़ने की इच्छा जागृत होती है तो व्यक्ति पढ़ने का प्रयास करता है। शामली में एक 75 साल के वृद्ध ने अपने अनपढ़ होने से दुखी होकर उम्र के आखिरी पड़ाव में पढ़ने का फैसला लिया है और जिलाधिकारी के दफ्तर में उपस्थित होकर उनकी पढ़ाई के लिए व्यवस्था करने की गुहार लगाई है। इस वृद्ध का कहना है कि उसके साथ ही 95-100 साल के अन्य साथी भी हैं जो उसके साथ तालीम लेना चाहते हैं।
75 साल के एक वृद्ध के मन में जागृत हुई पढ़ने की इच्छा
आपको बता दें कि शामली में एक 75 साल के वृद्ध ने अपने अनपढ़ होने से दुखी होकर उम्र के आखिरी पड़ाव में पढ़ने की इच्छा जताई है | डीएम कार्यालय में जाकर उनकी पढ़ाई के लिए व्यवस्था करने की गुहार लगाई है| शिक्षा वास्तव में अनमोल रत्न है, भले ही आप उसे दौर में यह बात ना समझ पाए हो जब आपका पढ़ाई का समय था। लेकिन कई ऐसे उदाहरण आपके सामने देखने को मिल जाएंगे कि विपरीत परिस्थितियों के चलते जेल में रहकर भी कुछ लोगों ने डिग्रियां हासिल की है। इनमें सबसे बड़ा नाम हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का है। शामली जनपद के गांव कुडाना में भी 75 साल के एक वृद्ध के मन में पढ़ने की इच्छा जागृत हुई है। अपनी ही इच्छा को पूरी करने के लिए 75 साल का जयपाल कलेक्ट्रेट में अपनी अर्जी लेकर पहुंचा है। उसने जिला अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर इस उम्र में उनकी पढ़ाई की व्यवस्था किए जाने की गुहार लगाइ है।
सारी उम्र खेती किसानी में बीत गई
75 वर्षीय वृद्ध जयपाल का कहना है कि उन्हें अनपढ़ होने का बहुत बड़ा नुकसान हो चुका है। अब वह खुद पढ़ लिखकर अपना प्रार्थना पत्र लिखकर अपनी समस्या का समाधान करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वह अकेले नहीं है जो उम्र के आखिरी पड़ाव में पढ़ना चाहते हैं। उनके गांव के दो-तीन और वृद्ध है जो उनके सहपाठी बनना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि जब उनकी पढ़ने लिखने की उम्र थी तब उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, उन्हें उनके पिताजी ने उस दौरान भैंस चराने का काम दिया था। उनकी सारी उम्र खेती किसानी में बीत गई। लेकिन अब फुर्सत के लम्हों में उनके मन में यह ख्याल आया है, कि उन्हें पढ़ना चाहिए। इसी इच्छा को पूरी करने के लिए जयपाल यहां कलेक्ट्रेट परिसर में आए हैं।