KNEWS DESK- दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2019-20 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शन के मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य सूत्रधार शरजील इमाम के खिलाफ आरोप तय किए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि 13 दिसंबर 2019 को जामिया यूनिवर्सिटी के पास इमाम की ओर से दिया गया भाषण जहरीला था, जिसमें एक धर्म को दूसरे धर्म के खिलाफ खड़ा किया गया और यह स्पष्ट रूप से हेट स्पीच था। अदालत ने 7 मार्च के अपने आदेश में कहा, ‘स्पष्ट रूप से, बड़ी संख्या में भीड़ का इकट्ठा होना और बड़े पैमाने पर दंगे करना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि यह कुछ लोगों द्वारा रची गई बड़ी साजिश का हिस्सा था।
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि शरजील इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को अपने भाषण में लोगों को यह कहकर उकसाया कि उत्तर भारत के राज्यों में मुसलमानों की बड़ी आबादी होने के बावजूद वे शहरों को सामान्य रूप से चलने क्यों दे रहे हैं और चक्का जाम (सड़क जाम) क्यों नहीं कर रहे?
कोर्ट ने शरजील के खिलाफ उकसाना और आपराधिक साजिश रचना, समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाना, दंगा भड़काना और गैरकानूनी सभा में शामिल होना, गैर-इरादतन हत्या का प्रयास, सरकारी सेवकों को बाधित करना, आगजनी करना, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाना आरोप तय किए।
आपको बताते चले कि 2019-2020 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग में हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा है. ये प्रदर्शन नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए थे, जिसे संसद ने 11 दिसंबर 2019 को पारित किया था। इसी मामले को लेकर 7 मार्च को दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई चल रही थी।