देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस (INC) के नए कप्तान का चुनाव हो रहा है,कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज नामांकन की आखिरी तारीख है । साथ ही यह तय हो गया है कि अबकी बार पार्टी की कमान गैर गांधी के हाथ में होगी । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास अध्यक्ष के चुनाव का सिस्टम है. भारतीय राजनीति में कांग्रेस का सबसे बड़ा योगदान सर्वसम्मति रही है, जब ये संभव नहीं होता तो हमारे पास चुनाव होता है. प्रत्येक मतदाता के पास क्यूआर कोडिट मतदाता पहचान पत्र है. ये लोकतांत्रिक राजनीति का हिस्सा है.कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए शुक्रवार को 3 नामांकन हुए। पहला नामांकन शशि थरूर, दूसरा नामांकन झारखंड के कांग्रेस लीडर केएन त्रिपाठी और तीसरा नॉमिनेशन मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया ।30 बड़े नेताओं का नाम प्रस्तावकों की लिस्ट में होने से सबसे मजबूत दावेदारी मल्लिकार्जुन खड़गे की सामने आ रही है, थरूर और त्रिपाठी के प्रस्तावकों में इक्का-दुक्का ही लीडर्स थे जिस वजह से खड़गे की तस्वीर साफ होती दिख रही है अगर कोई आश्चर्यजनक घटनाक्रम नहीं होता है तो निश्चित ही मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस (INC) के नए कप्तान के रुप में देखेंगे अगर ऐसा होता है तो खड़गे बाबू जगजीवन राम के बाद दूसरे दलित अध्यक्ष बनेंगे। जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
एके एंटनी, अशोक गहलोत, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, अभिषेक मनु सिंघवी, अजय माकन, भूपिंदर हुड्डा, दिग्विजय सिंह, तारिक अनवर, सलमान खुर्शीद, अखिलेश प्रसाद सिंह, दीपेंदर हुड्डा, नारायण सामी, वी वथिलिंगम, प्रमोद तिवारी, पीएल पुनिया, अविनाश पांडे, राजीव शुक्ला, नासिर हुसैन, मनीष तिवारी, रघुवीर सिंह मीणा, धीरज प्रसाद साहू, ताराचंद, पृथ्वीराज चाव्हाण, कमलेश्वर पटेल, मूलचंद मीणा, डॉ. गुंजन, संजय कपूर और विनीत पुनिया ने खड़गे को खुला सर्मथन देकर उन्हें मजबूत स्थिति में पंहुचा दिया है
तो वहीं कार्ति चिदंबरम, सलमान सोज, प्रवीण डाबर, संदीप दीक्षित, प्रद्युत बरदलोई, मोहम्मद जावेद, सैफुद्दीन सोज, जीके झिमोमी, और लोवितो झिमोमी ने शशि थरूर को सर्मथन दिया है
त्रिपाठी के प्रस्तावकों में इक्का-दुक्का ही लीडर्स थे
ये तस्वीर साफ करती है कि रेस मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरुर में ही है,लेकिन दिग्गजों के साथ ने खड़गे को मजबूती के साथ खड़ा कर दिया है, G-23 के बड़े चेहरे आनंद शर्मा और मनीष तिवारी के खड़गे का सर्मथन करने से भी कांग्रेस (INC) के नए कप्तान की तस्वीर साफ हो गई है ।
G-23 वही ग्रुप है जिसने पार्टी लीडरशिप में बदलाव का मुद्दा उठाया था एक दिन पहले गुरुवार को से एक्टिव यह ग्रुप गुरुवार देर रात तक मीटिंग करता रहा और इसके बाद मनीष तिवारी, गहलोत के नामों की चर्चा होने लगी। कहा जाने लगा कि ये भी प्रत्याशी हैं , लेकिन शुक्रवार को, खड़गे के नॉमिनेशन में इस ग्रुप के सबसे मजबूत नेता यानी आनंद शर्मा और मनीष तिवारी प्रस्तावक के तौर पर मौजूद रहे।
शुक्रवार को नॉमिनेशन से एक दिन पहले गुरुवार को एक्टिव हो गया। यह वही ग्रुप है, जिसने पार्टी लीडरशिप में बदलाव का मुद्दा उठाया था। गुरुवार देर रात तक मीटिंग चली और इसके बाद मनीष तिवारी, गहलोत के नामों की भी चर्चा होने लगी। कहा जाने लगा कि ये भी चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन शुक्रवार को जो तस्वीर सामने आई, उसमें खड़गे के नॉमिनेशन में इस ग्रुप के सबसे मजबूत नेता यानी आनंद शर्मा और मनीष तिवारी प्रस्तावक के तौर पर मौजूद रहे।
चुनाव अथॉरिटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री की तरफ से बयान आया कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में खड़गे, थरूर और केएन त्रिपाठी में से कोई भी पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है. ये तीनों प्रत्याशी अपने विवेक पर चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पूरी प्रक्रिया में तटस्थ रहेंगी और अगर कोई दावा करता है कि उसके पास उनका (सोनिया) समर्थन है तो यह गलत है
दिग्गजों की रेस में झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने मारी एंट्री
वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव के बीच अचानक एक ऐसे नेता ने एंट्री मारी जिनकी पहचान अभी एक राज्य तक सीमित थी। झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और मेदिनीनगर निवासी केएन त्रिपाठी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली में अपना नामांकन दाखिल किया। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने के संबंध में पार्टी हाईकमान का जो आदेश होगा, उसका पालन करेंगे। नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा, ”मैंने आज पार्टी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया है। पार्टी नेताओं का जो भी निर्णय होगा उसका सम्मान करेंगे।” सियासत में आने से पहले कृष्णानंद त्रिपाठी एयरफोर्स में थे। सेना की नौकरी छोड़कर वह सियासत में आए और साल 2005 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार डालटनगंज सीट पर चुनाव लड़े। लेकिन इंदर सिंह नामधारी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2009 में फिर डालटनगंज सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और चुनाव जीते। विधायक बनने के बाद उन्हें राज्य सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनने का मौका मिला। डालटनगंज के रेड़मा काशी नगर मोहल्ले के रहने वाले केएन त्रिपाठी किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे जिनकी दावेदारी के बाद दिग्विजय सिंह पीछे हट गये ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री और गांधी परिवार के भरोसेमंद खड़गे का नाम पहले भी चर्चा में था। खड़गे गांधी परिवार के करीबी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला होने की संभावना है। खड़गे के नाम के प्रस्ताव को लेकर जिस तरीके से कांग्रेसी नेता आगे आए हैं उसके बाद उनकी जीत तय नजर आ रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं, जिसको लेकर समय-समय पर उन्हें पार्टी की ओर से वफादारी का इनाम भी मिलता रहा है। साल 2014 में खड़गे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया।
छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले 80 वर्षीय खड़गे ने एक लंबी पारी यूनियन पॉलिटक्स की भी खेली। वह संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली नेता थे, जिन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए किए गए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। फिर गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत करने लगे। कांग्रेस का हाथ खड़गे ने साल 1969 में था और पहली बार 1972 में कर्नाटक की गुरमीतकल असेंबली सीट से विधायक बने। खड़गे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला ।
एक ही सीट से 9 बार विधायक, खड़गे का मराठी कनेक्शन
वर्ष 2000 में कन्नड़ सुपरस्टार डॉ. राजकुमार का जब चंदन तस्कर वीरप्पन ने अपहरण किया था, उस समय खड़गे प्रदेश के गृह मंत्री थे। 2009 से उन्होंने अपना संसदीय सफर शुरू किया जिसके बाद लगातार दो बार गुलबर्गा से लोकसभा सांसद रहे। इसके केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार में श्रम व रोजगार मंत्री और रेल मंत्री की भूमिका निभाई। खड़गे खुद को भले ही कर्नाटक का मानते हों, लेकिन उनकी जड़ें मूल रूप से महाराष्ट्र में हैं।यही कारण है कि खड़गे बखूबी मराठी बोल और समझ लेते हैं। उनकी खेलों खासकर किक्रेट, हॉकी व फुटबॉल में खासी रुचि है। उनके बेटे प्रियांक खड़गे भी राजनीति में हैं, जो फिलहाल दूसरे टर्म के कांग्रेस विधायक हैं। कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी वह नेता थे जिन्हें नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। वह नेशनल हेराल्ड से जुड़ी कंपनी यंग इंडिया के प्रिंसिपल ऑफिसर भी हैं।
विवादों के नातेदार रहे शशि थरुर कैसे आए कप्तान की रेस में
थरूर 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए और केरल में तिरुवनंतपुरम सीट से चुनाव लड़कर सफलतापूर्वक जीत हासिल की. 2014 में थरूर ने तिरुवनंतपुरम से फिर से चुनाव जीता, भारतीय जनता पार्टी के ओ राजगोपाल को लगभग 15,700 वोटों के अंतर से हराया. यूपीए के नेतृत्व वाली सरकार के अंदर थरूर 2009-2010 तक विदेश मंत्रालय के और 2012-2014 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री रह चुके हैं. 2007 तक वे संयुक्त राष्ट्र के करियर अधिकारी थे. संयुक्त राष्ट्र में उन्होंने महासचिव पद के लिए (2006) चुनाव में, बान की मून की तुलना में दूसरे स्थान पर आने के बाद, संयुक्त राष्ट्र से प्रस्थान किया. भारतीय दंड संहिता की धारा 377 में संशोधन करने के शशि थरूर के प्रयासों को दो मौकों पर अधिकांश सांसदों ने खारिज कर दिया. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में 2018 में विवादास्पद लेख में संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया और थरूर द्वारा वकालत की स्थिति को सही ठहराया गया. बता दें कि अनुच्छेद 377 को समाप्त करना भारतीय इतिहास में एक ऐतिहासिक निर्णय था. इसने LGBTQI+ समुदाय के लोगों के अस्तित्व को कानूनी मान्यता दी.
थरूर एक लेखक भी हैं, जिन्होंने 1981 से कथा और गैर-कथाओं के 17 बेस्टसेलिंग कार्यों को लिखा है, जो भारत और उसके इतिहास, संस्कृति, फिल्म, राजनीति, समाज, विदेश नीति और अधिक संबंधित विषयों पर केंद्रित है.
शशि थरूर सोशल मीडिया को राजनीतिक बातचीत के साधन के रूप में इस्तेमाल करने में आगे रहे हैं. वह 2013 तक ट्विटर पर भारत के सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले राजनेता थे, जब उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पछाड़ दिया था. उनके कुछ ट्विटर पोस्ट काफी विवादास्पद भी रहे हैं.
थरूर पर आईपीएल क्रिकेट फ्रेंचाइजी में शेयर प्राप्त करने के लिए अपने कार्यालय का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था, जिसके बाद अप्रैल 2010 में, उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. थरूर ने आरोपों से इनकार किया और संसद में अपने इस्तीफे के भाषण के दौरान पूरी जांच की मांग की थी. मई 2018 में, थरूर पर अपनी दूसरी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के लिए भी जिम्मेदार होने का आरोप था.
हालांकि थरूर ने सभी आरोपों का खंडन किया. 18 अगस्त 2021 को दिल्ली की विशेष अदालत ने शशि थरूर को पुष्कर की मौत के सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
बता दें कि कांग्रेस ने रविवार को घोषणा की थी कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को होगा. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव का परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किया जाएगा. चुनाव के लिए अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की जाएगी, जबकि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी और 30 सितंबर तक चलेगी.