उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर मचा सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है दअरसल विपक्ष का आरोप है कि सरकार निकाय चुनाव नही कराना चाहती है हार के डर से सरकार बार-बार निकाय चुनाव को टाल रही है.विपक्ष के इन आरोपों के बीच धामी सरकार ने प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह और बढ़ा दिया है। बता दें कि उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक के लिए विधानसभा ने प्रवर समिति गठित की थी. विधेयक में नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का परीक्षण कर समिति को विधानसभा अध्यक्ष को एक माह में रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन अबतक ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट ना होने से प्रवर समिति के कार्यकाल को बढ़ाया गया है. वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर निकाय चुनाव को टालने के लिए ऐसे निर्णय ले रही है। हांलाकि सरकार विपक्ष के इन आरोपों का खंडन कर निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार होने का दावा कर रही है। वहीं निकाय चुनाव पर मचे सियासी घमासान के बीच बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने अपनी ही सरकार के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगा दिये हैं। विनोद चमोली का कहना है कि स्मार्ट सिटी की जो डीपीआर अधिकारियों को दी गई थी, वह पूरी तरह से बदल दी गई। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। शीशमबाड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की स्थिति आज ठीक से प्रबंधन नहीं होने के कारण बदहाल हो चुकी है। बता दें कि स्मार्ट सिटी के कार्यों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। बरसात के दौरान तो इन कार्यों की जमकर पोल खुलती है वहीं अब पार्टी के विधायक ही अधिकारियों पर डीपीआर चेंज करने का आरोप लगा रहे हैं जिसपर सियासत भी शुरू हो गई है। सवाल ये है कि आखिर क्यो निकाय चुनाव को लेकर सरकार अबतक स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है.. आखिर क्यों अधिकारियों ने केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना की डीपीआर से छेड़छाड़ की
उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे इस पर सस्पेंस अबतक बरकरार है। विपक्ष लगातार निकाय चुनाव कराने की सरकार से मांग कर रहा है. लेकिन अबतक सरकार विपक्ष की इस मांग को पूरा नहीं कर पाई है। इस बीच सरकार ने प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह और बढ़ाकर निकाय चुनाव पर छाई धुंध और गहरा दिया है। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश के नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण के परीक्षण के लिए गठित प्रवर समिति का कार्यकाल एक महीना और बढ़ा दिया है। जिसपर विपक्ष की ओर से सवाल खड़े किये जा रहे हैं। साथ ही सरकार पर निकाय चुनाव से भागने का आरोप लगाया जा रहा है।
आपको बता दें कि गैरसैंण के विधानसभा सत्र में उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) (संशोधन) विधेयक, 2024 के ओबीसी आरक्षण पर प्रवर समिति का गठन किया गया था। संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद अग्रवाल की अध्यक्षता में पक्ष विपक्ष कर छह विधायक प्रवर समिति के अध्यक्ष बनाये गए थे। समिति की बैठक में 2011 की जनगणना के आधार पर निकाय चुनाव कराने का फैसला भी लिया गया। वहीं प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि 10 नवंबर को निकाय चुनाव का कार्यक्रम हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। इस बीच भाजपा के ही विधायक विनोद चमोली ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाये हैं। उनका कहना है कि स्मार्ट सिटी की जो डीपीआर अधिकारियों को दी गई थी, वह पूरी तरह से बदल दी गई। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। वहीं विधायक के इस बयान ने विपक्ष को लगे हाथ एक ओर हमला करने का मौका दे दिया
कुल मिलाकर प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर को खत्म होने के बाद सरकार ने इन्हें प्रशासकों के हवाले करने के करीब-करीब एक साल भी निकाय चुनाव की स्थिति को साफ नहीं किया है। जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। हांलाकि सरकार चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार होने का दावा तो कर रही है लेकिन समय पर चुनाव ना करा पाना भी सरकार की ही विफलता को दर्शाता है ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार निकाय चुनाव को टाल रही है, क्या सरकार केदारनाथ उपचुनाव के बाद ही निकाय चुनाव पर मंथन करेगी। आखिर वो कौन से अधिकारी है जो अपनी मर्जी से डीपीआर को बदल रहे हैं