उत्तराखंड- उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर विचार के लिए गठित समिति का कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद राज्य का माहौल गरमा गया है। एक तरफ जहां समिति का कार्यकाल बढ़ाए जाने पर विपक्ष हमलावर है तो वहीं दूसरी ओर राज्य आंदोलनकारी मंच ने भी सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। देहरादून स्थित शहीद स्मारक पर राज्य आंदोलनकारियों ने आपात बैठक की। इसमें आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के मुद्दे पर सरकार के रुख पर नाराजगी जताते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने प्रवर समिति अध्यक्ष संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर जमकर निशाना साधा। राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि समिति का कार्यकाल दो माह बढ़ाने का फैसला वापस लिया जाए, और दो सप्ताह के भीतर समिति अपनी रिपोर्ट सरकार को दे। राज्य आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और संसदीय कार्यमंत्री का विरोध किया जाएगा। वहीं कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने भी लगे हाथ सरकार को निशाने पर लिया है। साथ ही विपक्ष का तर्क है कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को क्षैतिज आरक्षण नहीं देना चाहती है इसलिए बार बार समिति का कार्यकाल बढ़ाकर असमंजस की स्थिति पैदा की जा रही है।
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने विधानसभा में लाए गए क्षैतिज आरक्षण विधेयक पर विचार करने के लिए प्रवर समिति का गठन किया था। इसी समिति का कार्यकाल सरकार ने दो माह के लिए बढ़ा दिया है सरकार के इस फैसले ने राज्य आंदोलनकारियों की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया। वहीं सरकार के इस फैसले के बाद राज्य आंदोलनकारियों ने आपात बैठक की। इसमें आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के मुद्दे पर सरकार के रुख पर नाराजगी जताई है। राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि समिति का कार्यकाल दो माह बढ़ाने का फैसला वापस लिया जाए, और दो सप्ताह के भीतर समिति अपनी रिपोर्ट सरकार को दे। राज्य आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और संसदीय कार्यमंत्री का विरोध किया जाएगा। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि राज्य आंदोलनकारी सरकार पर भरोसा रखें।
आपको बता दें कि ऐसा दूसरी बार है जब प्रवर समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया गया है। अभी तक यही माना जा रहा था कि एक और बैठक के बाद समिति अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप देगी और राज्य स्थापना दिवस से पहले राज्य आंदोलनकारियों की क्षैतिज आरक्षण की मुराद पूरी हो जाएगी। लेकिन, अब उनको इसके लिए और इंतजार करना पड़ेगा। बता दें कि विधानसभा में पेश विधेयक पर चर्चा के दौरान इस विधेयक को प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया था। स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित समिति को 15 दिन में विचार कर सिफारिशें देने को कहा था लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। जिसके बाद विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं।
कुल मिलाकर चुनावी साल में धामी सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि वह जल्द से जल्द राज्य आंदोलनकारियों की नाराजगी को दूर करें। देखना होगा क्या धामी सरकार राज्य के आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की मांग को पूरा करती है या नहीं
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