उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में दीपावली की तैयारियों के बीच केदारनाथ उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। एक तरफ त्योहार का समय तो दूसरी तरफ उपचुनाव की तैयारी। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के नेताओं के लिए यह चुनौती भरा समय है, वहीं दोनों ही पार्टियों ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है और इन चेहरों के लिए वोट बटोरने का काम त्योहारों में बेहतर तरीके से किया जा रहा है। आपको बता दें कि केदारनाथ उपचुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशियों पर ही दांव खेला है। इसके तहत कांग्रेस ने जहां पूर्व विधायक मनोज रावत पर दांव खेला है तो वहीं, भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। मनोज और आशा, दोनों ने ही नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इस बीच भाजपा अपने स्टार प्रचारकों के केदारनाथ में बड़े कार्यक्रम आयोजित कराने की तैयारी में लगी हुई है हांलाकि इस बीच भाजपा की टेंशन केदारनाथ की दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की पुत्री ऐश्वर्या रावत ने बढ़ा दी है, दअरसल ऐश्वर्या पूरी तरह से आश्वस्त थी कि पार्टी उन्हें टिकट देगी इसके लिए उन्होने नामांकन पत्र भी खरीद लिया था। लेकिन लिस्ट में आशा नौटियाल का नाम देखकर ऐश्वर्या को बड़ा झटका लगा है। उन्होने अपने व्टसएप स्टेटस पर लिखा है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात प्रधानमंत्री ने कही थी लेकिन यहां तो बेटी निपटाओ चल रहा है। उन्होने खुद को टिकट ना दिये जाने को एक षड़यंत्र भी बताया है हांलाकि भारी दबाव के बाद उन्होने अपने स्टेट्स को चेंज कर दिया वहीं टिकट ना मिलने से भाजपा नेता कुलदीप रावत भी नाराज चल रहे हैं. ऐश्वर्या और कुलदीप ने पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा को ये नाराजगी भारी तो नहीं पड़ेगी…
–उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस ने अपने अपने प्रत्याशी का नाम घोषित कर दिया है। इसके तहत कांग्रेस ने जहां पूर्व विधायक मनोज रावत पर दांव खेला है तो वहीं, भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। मनोज और आशा, दोनों ने ही नामांकन पत्र दाखिल कर प्रचार प्रसार तेज कर दिया है। आपको बता दे कि आशा नौटियाल दो बार केदारनाथ की विधायक रह चुकी हैं। भाजपा के टिकट पर वह 2002 और 2007 में लगातार चुनाव जीती हैं। जबकि 2012 में भी भाजपा ने इन्हें टिकट दिया लेकिन आशा नौटियाल चुनाव हार गई थीं। वहीं 2017 में टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय मैदान में उतर गई थी। हालांकि बाद में फिर भाजपा में वापसी हुई और पार्टी ने उन्हें महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की बात करें तो मनोज रावत ने पत्रकारिता से अपने करिअर की शुरुआत की थी। और 2017 में प्रचंड मोदी लहर के बाद भी वह केदारनाथ का चुनाव जीते थे जबकि 2022 के चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे।
आपको बता दें कि इसी साल नौ जुलाई को केदारनाथ से भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के कारण केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हुई थी। इस बीच केदारनाथ की दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की पुत्री ऐश्वर्या रावत ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है, दअरसल ऐश्वर्या पूरी तरह से आश्वस्त थी कि पार्टी उन्हें टिकट देगी इसके लिए उन्होने नामांकन पत्र भी खरीद लिया था। लेकिन लिस्ट में आशा नौटियाल का नाम देखकर ऐश्वर्या को बड़ा झटका लगा है। उन्होने अपने व्टसएप स्टेटस पर लिखा है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात प्रधानमंत्री ने कही थी लेकिन यहां तो बेटी निपटाओ चल रहा है। उन्होने खुद को टिकट ना दिये जाने को एक षड़यंत्र भी बताया है हांलाकि भारी दबाव के बाद उन्होने अपने स्टेट्स को चेंज कर दिया वहीं टिकट ना मिलने से भाजपा नेता कुलदीप रावत भी नाराज चल रहे हैं. ऐश्वर्या और कुलदीप ने पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। वहीं पार्टी अब नाराज नेताओं को मनाने में लग गई है।
कुल मिलाकर भाजपा जहां अपनी चुनावी तैयारियों के लिहाज से काफी आगे है तो वहीं दूसरी ओर नाराज नेताओं ने भाजपा की टेंशन को बढा दिया है। सवाल ये है कि क्या भाजपा की तैयारी पर नाराजगी भारी पड़ेगी. क्या ऐश्वर्या और कुलदीप की नाराजगी कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी. क्या कांग्रेस बद्रीनाथ और मंगलौर की तरह केदारनाथ उपचुनाव को जीतने में कामयाब होगी या नहीं