पुलिस ही कर रही थी गांजा की तस्करी, गांजा तस्करी में 2 सिपाही गिरफ्तार

KNEWS DESK- दुर्ग जिले में पुलिस विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक आरक्षक और डायल 112 के चालक को गांजा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब पुलिस ने पुरैना इलाके में संदिग्ध वाहनों की चेकिंग के दौरान एक एक्सयूवी कार से भारी मात्रा में गांजा बरामद किया। मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि भिलाई-3 थाने में तैनात आरक्षक विजय धुरंधर और डायल 112 का चालक अनिल टंडन गांजा तस्करी में संलिप्त थे।

दरअसल मंगलवार को भिलाई-3 पुलिस ने निलंबित आरक्षक विजय धुरंधर और डायल 112 के ड्राइवर अनिल टंडन को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उनके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20(B)(ii)(B) के तहत मामला दर्ज किया है।वहीं एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि पुरैना इलाके में पुलिस द्वारा संदिग्ध वाहन चेकिंग की जा रही थी। इस दौरान एक एक्सयूवी कार को रोका गया, जिसमें दो बोरियों में कुल 18.792 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया। जब्त किए गए इस मादक पदार्थ की अनुमानित कीमत 1,11,500 रुपये आंकी गई। इस मामले में दो आरोपियों धीरेन्द्र शर्मा और युवराज मेहता को गिरफ्तार कर पुलिस रिमांड पर लिया गया।जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जब गांजे की तस्करी के आरोप में धीरेन्द्र शर्मा और युवराज मेहता को पकड़ा गया था, तब कुल तीन बोरियों में गांजा था।

जितेंद्र शुक्ला,एसपी दुर्ग

लेकिन पुलिस ने जब बरामदगी की रिपोर्ट दर्ज की, तो केवल दो बोरियों की जानकारी दी गई। जब गहन पूछताछ की गई, तो धीरेन्द्र और युवराज ने बताया कि गांजे की एक बोरी आरक्षक विजय धुरंधर ने अपने पास रख ली थी और डायल 112 का चालक अनिल टंडन इस काम में उसकी मदद कर रहा था।इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने विजय धुरंधर और अनिल टंडन को हिरासत में लिया और कड़ी पूछताछ की। पूछताछ में उन्होंने अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली। पुलिस ने उनके पास से गांजा और मोबाइल फोन भी जब्त किया है।इस घटना के सामने आने के बाद दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला ने विजय धुरंधर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही, इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं।

पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार और अपराध में लिप्त किसी भी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जाएगा।इस घटना ने पुलिस विभाग की छवि को धक्का पहुंचाया है, क्योंकि जिन पुलिसकर्मियों पर कानून की रक्षा करने की जिम्मेदारी होती है, वही अवैध कार्यों में संलिप्त पाए गए हैं। पुलिस विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह अपने भीतर मौजूद भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखे और समय-समय पर आवश्यक कदम उठाए।

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