चारधाम यात्रा 2025: मंदिर परिसर में रील बनाने पर रहेगा बैन, बिना दर्शन श्रद्धालुओं को होगा लौटना

KNEWS DESK-  उत्तराखंड में 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का शुभारंभ होने जा रहा है, और इस बार यात्रा में कुछ नए नियम लागू किए गए हैं, जो श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी पवित्र और सम्मानजनक बनाने के लिए हैं। खासकर, मंदिर परिसर में रील बनाने पर कड़ा बैन लगाया गया है। केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के पंडा समाज ने इस वर्ष यह फैसला लिया है कि अगर कोई श्रद्धालु मंदिर परिसर में रील बनाता हुआ पाया गया, तो उसे दर्शन करने का अवसर नहीं मिलेगा और वह बिना दर्शन के लौटने पर मजबूर होगा।

बद्रीनाथ धाम के पंडा पंचायत के कोषाध्यक्ष अशोक टोडरिया ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा, “पैसे लेकर VIP दर्शन कराना भगवान की मर्यादा के खिलाफ है।” उनके मुताबिक, इस साल यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को केवल एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव देना उद्देश्य है, न कि उन्हें किसी प्रकार के व्यावसायिक लाभ के लिए उपयोग किया जाए। इसी के मद्देनजर, बद्रीनाथ धाम पर पैसे लेकर VIP दर्शन की व्यवस्था भी इस बार पूरी तरह से बंद रहेगी।

चारधाम यात्रा इस साल 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन मां गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने के साथ शुरू होगी। इसके बाद, 2 मई को केदारनाथ धाम और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही, पूर्ण रूप से चार धाम यात्रा की शुरुआत हो जाएगी।

इस वर्ष यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। बीते 6 दिनों में 9 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें से सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन केदारनाथ धाम के लिए हुए हैं, जहां लगभग पौने तीन लाख श्रद्धालुओं ने अपनी यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है।

इस वर्ष चारधाम यात्रा में नियमों को लेकर कड़े दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का अनुशासनहीनता न हो। पंडा समाज ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे यात्रा के दौरान धर्म और आस्था की मर्यादा बनाए रखें। इस बार का उद्देश्य सिर्फ आध्यात्मिक उत्थान और श्रद्धा को बढ़ावा देना है, न कि व्यावसायिक और सोशल मीडिया के लिए धार्मिक स्थलों का उपयोग करना।

चारधाम यात्रा 2025 का आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र अनुभव देने की दिशा में बड़ा कदम है। इस बार के नियम और प्रतिबंध यह सुनिश्चित करेंगे कि यात्रा में किसी प्रकार की अनुशासनहीनता न हो और श्रद्धालु पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ अपनी यात्रा पूरी करें। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे यात्रा के दौरान हर नियम का पालन करें और अपनी यात्रा को पूरी श्रद्धा के साथ संपन्न करें।

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