उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार और दायित्व बंटवारे की चर्चाएं फिर शुरू हो गई है। दअरसल दिल्ली में भाजपा की एक बड़ी बैठक हुई है। बैठक में कैबिनेट विस्तार और दायित्व बंटवारे पर चर्चा की गई है। वहीं हाईकमान से भी इस संबंध में हरी झंड़ी मिल चुकी है। इस बात की पुष्टि खुद भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने भी की है। उन्होने बताया कि पिछले लंबे से कैबिनेट के रिक्त पदों को भरने और दायित्व धारियों की नियुक्ति पर भी चर्चा हुई है। बैठक में तीन दर्जन वरिष्ठ पदाधिकारियों को दायित्व बांटने पर सहमति बनी है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा…आपको बता दें कि उत्तराखंड में कैबिनेट के चार पद रिक्त चल रहे हैं। वहीं पिछले वर्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दो बार दायित्व का बंटवारा कर चुके हैं। वहीं अब माना जा रहा है कि तीन दर्जन से ज्यादा नेताओं को दायित्व बांटे जा सकते हैं। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि पार्टी के भीतर भारी असंतोष है। इस असंतोष को कम करने के लिए ये बातें कही जा रही है। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। मौजूदा समय में मुख्यमंत्री खुद अपनी कुर्सी को बचाने की कवायद में लगे हुए हैं। सवाल ये है कि राज्य में कैबिनेट विस्तार और दायित्व बंटवारा होगा
देवभूमि उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव से पहले कैबिनेट विस्तार और दायित्व बंटवारा हो सकता है। मुख्यमंत्री धामी को इस संबंध में हाईकमान से भी हरी झंड़ी मिल चुकी है। वहीं बीजेपी विधायक अपने-अपने समीकरण बिठाने में एक बार फिर से जुट गए हैं. ताकि उनके हाथ मंत्री की कुर्सी लग सके….जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी राज्यमंत्री बनने का सपना संजोने लगे हैं। प्रदेश में दायित्वधारियों की दो सूची जारी करने के बाद माना जा रहा है कि तीन दर्जन से ज्यादा नेताओं को दायित्व बांटें जा सकते हैं। इस बीच राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की भी खबरें तेज हो गई है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कैबिनेट के चार पद रिक्त चल रहे हैं। पिछले वर्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दो बार दायित्व का बंटवारा कर चुके हैं। वहीं अब माना जा रहा है कि तीन दर्जन से ज्यादा नेताओं को दायित्व बांटे जा सकते हैं। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि पार्टी के भीतर भारी असंतोष है। इस असंतोष को कम करने के लिए ये बातें कही जा रही है। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। मौजूदा समय में मुख्यमंत्री खुद अपनी कुर्सी को बचाने की कवायद में लगे हुए हैं।
कुल मिलाकर राज्य में एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार और दायित्व बंटवारे की चर्चाएं शुरू हो गई है। पिछले लंबे समय से पार्टी के वरिष्ठ नेता इसका दावा तो कर रहे हैं। लेकिन अबतक इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। ऐसे में सवाल ये है क्या एक बार फिर पार्टी के नेताओं का दावा हवा हवाई है। क्या पार्टी के भीतर पनप रहे भारी असंतोष को ऐसी खबरों से शांत किया जा रहा है. आखिर क्यों मुख्यमंत्री इतने समय बाद भी इस संबंध में निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। सवाल ये भी है कि क्या तीन दर्जन नेताओं को दायित्व बांटने और मंत्रिमंडल विस्तार से राज्य पर वित्तीय बोझ नहीं बढ़ेगा