KNEWS DESK- लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से UP की सियासत में तेज हो गई है। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल इन दिनों BJP के संपर्क में हैं। अगर ऐसा हुआ तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गठबंधन के मामले में सपा अध्यक्ष का रिकॉर्ड पहले से ही काफी खराब रहा है।
आपको बता दें कि अखिलेश यादव हर बार चुनाव से पहले गठबंधन तो बना लेते हैं लेकिन उनके साथी ज्यादा दिन तक उनके साथ टिक नहीं पाते हैं। अगर इस बार जयंत चौधरी और पल्लवी पटेल की पार्टियां उनका साथ छोड़ देती है तो कहीं ऐसा न हो कि वो अकेले हो जाएं। सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर बहस और फिर वोटिंग हुई है लेकिन वोटिंग के दौरान जयंत चौधरी सदन में अनुपस्थित रहे और उन्होंने इंडिया गठबंधन के पक्ष में वोटिंग नहीं की है। उनके करीबी ने दावा किया कि किसी जरूरी काम की वजह से वोटिंग के दौरान वो सदन में नहीं थे लेकिन उनकी गैरहाजिरी ने कई तरह की चर्चाओं को बल दे दिया है। माना जा रहा है कि जयंत चौधरी इन दिनों BJP के साथ बने हुए हैं।
अखिलेश यादव सबको साथ लाने में हैं जुटे
मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा से जयंत ने 5 सीटों की मांग की है लेकिन BJP 3 सीटें देने को तैयार है। इसी बात को लेकर दोनों के बीच बात फंसी हई है। अगर सबकुछ ठीक हो जाता है तो जयंत चौधरी भी NDA में शामिल हो सकते हैं। BJP का कहना है कि अगर जयंत उनके साथ आ जाते हैं जाट वोटों के समीकरण के जरिए पार्टी पश्चिमी UP में क्लीन स्वीप कर सकती है। वहीं पल्लवी पटेल भी काफी वक्त से गुस्सा बताई जा रही हैं और चर्चा है कि वो भी इन दिनों BJP के साथ में है। एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव सबको साथ लाने में जुटे हुए हैं। तो वहीं दूसरी तरफ वो खुद अपने साथियों को भी जोड़ कर नहीं रख पा रहे हैं। कुछ दिनों पहले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भी NDA में शामिल हो गए हैं। राजभर ने विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था और पूर्वांचल में पार्टी को इसका फायदा भी हुआ था। बावजूद इसके अखिलेश सुभासपा के साथ ज्यादा दिन गठबंधन कायम नहीं रख पाएं हैं।
भाजपा का सामना कर पाना होगा मुश्किल
जानकारी के लिए बता दें कि अखिलेश यादव का गठबंधन के मामले में रिकॉर्ड भी बहुत खराब रहा है। उन्होंने साल 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा और फिर ये गठबंधन टूट गया था। साल 2018 में सपा ने निषाद पार्टी से गठबंधन किया था। निषाद पार्टी अब NDA में शामिल हैं। साल 2019 में मायावती और अखिलेश एक साथ आए लेकिन चुनाव के बाद मायावती भी गठबंधन से अलग हो गईं थी। 2022 में सुभासपा, रालोद, अपनी पार्टी कमेरावादी साथ आए और पहले ही गठबंधन से अलग हो चुकी है। अब अगर रालोद और पल्लवी पटेल अगर NDA में जाते हैं तो सपा के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। सपा भले ही विपक्षी एकता में शामिल हो लेकिन UP में वो अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में यहां BJP का सामना कर पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।