रिपोर्ट – प्रशांत सोनी
कासगंज – भगवान श्रीराम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का उल्लास जहां एक ओर पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जा रहा था, वहीं भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की धरा पर एक नया इतिहास रच गया। मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा विध्वंस किए गए सीता राम मंदिर में 512 साल बाद भगवान श्रीराम और माता सीता विराजमान हुए हैं।
मुगल आक्रांताओं द्वारा इस मंदिर का किया गया विध्वंस
बता दें यूपी के कासगंज जनपद के तीर्थ नगरी सोरों शूकर क्षेत्र क्षेत्र में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित सीताराम मंदिर काफी प्राचीन है। मंदिर की दीवारों पर लिखी लिपियां इसके पौराणिक होने का प्रमाण है। मुगल आक्रांताओं द्वारा इस मंदिर का विध्वंस किया गया। यह विध्वंस वर्ष 1511 में आक्रांत सिकंदर लोदी के द्वारा किया गया तो 1693 में औरंगजेब ने सीताराम मंदिर के अलावा वराह मंदिर को भी क्षति पहुंचाई, बाद में नेपाल नरेश ने वराह मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। लेकिन सीताराम मंदिर का जीर्णो उद्धार नहीं हो सका बाद में पुरातत्व विभाग के द्वारा मंदिर को संरक्षित किया गया। लेकिन प्रभु श्री राम और माता सीता के विग्रह स्थापित नहीं किए गए, तब से इस मंदिर को प्रभु श्रीराम व माता सीता की प्रतिमाओं की स्थापना का आज तक इंतजार था।
512 वर्ष पूर्व विध्वंस की गई सीता राम मंदिर की मूर्तियों की स्थापना
मौजूदा समय में पुरातत्व विभाग का एक कर्मी मंदिर में सुबह शाम धूप बत्ती अगरबत्ती जलाकर पूजा करता है,लेकिन मंदिर में सीता रामजी की मूर्ति स्थापित नहीं हुई और इस मंदिर की अनदेखी रही। प्रशासन और पुरातत्व विभाग ने इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया था, इधर अयोध्या में जब 500 साल बाद भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त आया तो 512 वर्ष पूर्व विध्वंस की गई सीता राम मंदिर की मूर्तियों की स्थापना के लिए पुरोहितों ने आपस में मिलकर कार्य योजना तैयार की इसके बाद मंदिर में माता सीता और श्रीराम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी कर ली और विधि-विधान पूर्वक इस मंदिर में माता सीता और प्रभु श्रीराम की मूर्ति की पुन: प्राण प्रतिष्ठा की गई।