KNEWS DESK- नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अब जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर चर्चा करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, इस प्रस्ताव ने विपक्ष के निशाने पर उन्हें ला खड़ा किया है, जिन्होंने उन पर अनुच्छेद 370 के वादे से मुकरने का आरोप लगाया है।
विपक्ष का हमला
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट बैठक के फैसले की आलोचना की। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि उमर भाजपा के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छा संकेत नहीं है, जब राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 के बारे में कोई बात नहीं की गई।
कैबिनेट बनाम विधानसभा
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने भी इस बात पर आपत्ति जताई कि प्रस्ताव कैबिनेट द्वारा पारित किया गया, जबकि इसे विधानसभा में लाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा विधानसभा में प्रतिबिंबित होती है, न कि कैबिनेट में। यह मामला विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि जम्मू-कश्मीर के लिए स्वायत्तता से संबंधित मुद्दों को विधानसभा में ही सही तरीके से उठाया जाना चाहिए।
भाजपा के साथ संभावित गठबंधन के आरोप
एआईपी के नेता इंजीनियर रशीद ने उमर अब्दुल्ला पर भाजपा के हाथों में खेलते रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नेकां को केंद्र सरकार के निर्णयों के बारे में पहले से जानकारी थी और अब वे केवल राज्य के दर्जे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि अनुच्छेद 370 जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
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