KNEWS DESK- जम्मू- कश्मीर बकरवाल समुदाय ने मैदानी इलाकों में तापमान बढ़ने की वजह से घाटी के ऊपरी इलाकों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है।हालांकि बकरवाल समुदाय का ये पलायन इस मौसम में हर साल होता है क्योंकि ये समुदाय अपनी भेड़- बकरियों के खाने के लिए मई के आखिरी दिनों में कश्मीर घाटी और लद्दाख के घास के मैदानों को तलाशते हैं।
प्रशासन कब देगा ध्यान?
हालांकि ऊंचाई वाले इलाकों में जाने के दौरान बकरवाल समुदाय के सामने कई चुनौतियां भी आती हैं। ये समुदाय खराब सड़कें, मेडिकल फैसिलिटी को बढ़ाने के लिए कई बार प्रशासन से कह चुका है लेकिन इसका कभी कोई हल नहीं निकलता। ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड बढ़ने के साथ ही ये बकरवाल समुदाय अपनी भेड़- बकरियों के लिए ताजा घास की तलाश में एक बार फिर निचले इलाकों की ओर लौट आता है। समुदाय को उम्मीद है कि उनकी लंबे समय से चली आ रही शिकायतों और मांगों पर प्रशासन ध्यान देगा और उन्हें सरकार से मदद मिलेगी।
राजौरी निवासी मोहम्मद रियाज़ ने कहा कि हम राजौरी के रहने वाले हैं। हम निकले थे, दो दिन हो गए हैं उधर से निकले। हमारा डेरा इधर ही रहेगा इंशाअल्लाह एक हफ्ते, हफ्ते के बाद हम इधर से गुरेज की तरफ जाएंगे।उधर हम तीन महीने रुकेंगे। सितंबर 10-15 को उधर से फिर से वापस आ जाएंगे। 10 सितंबर को वापस निकलते हैं। उसके बाद हम फिर से इधर आ जाते हैं, इधर हफ्ता 15 दिन रुकते हैं, तो उसके बाद हम वापस चले जाते हैं राजौरी में।
“हमको बहुत बड़ी मुश्किल है”
राजौरी निवासी मोहम्मद अयूब ने कहा कि हमारे साथ भेड़-बकरी होती है, बाल बच्चे होते हैं, घोड़े होते हैं उनको लेकर आते हैं। हम को मुश्किल बहुत बड़ी है। रास्ते में कोई मर जाता है, किसी को कुछ हो जाता है, आज हम को एक महीना बराबर हो गया वहां से निकला हुआ तो बहुत मुश्किल है। और साल हमको ट्रक वगैरह मिलते था, इस साल वो भी नहीं है।
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