PM मोदी का यूक्रेन दौरा वैश्विक ध्यान और उम्मीदों के बीच ऐतिहासिक यात्रा, अमेरिका ने की PM मोदी के यूक्रेन दौरे की तारीफ

KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया यूक्रेन दौरे ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, खासकर तब जब यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके कुर्स्क में रूसी इलाकों पर नियंत्रण स्थापित किया है और रूस-यूक्रेन संघर्ष और भीषण होता नजर आ रहा है। यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी का यूक्रेन की यात्रा के बाद भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में पहला प्रयास था, और इसके साथ ही यह द्विपक्षीय संबंधों की 1992 में शुरुआत के बाद से पहली बार था।

अमेरिका का सकारात्मक संकेत

अमेरिका के व्हाइट हाउस ने पीएम मोदी की यात्रा को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार, जॉन किर्बी ने कहा कि भारत अमेरिका का एक मजबूत साझेदार है और अमेरिका उन देशों का स्वागत करता है जो यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में मददगार साबित हो सकते हैं। किर्बी ने यह भी उल्लेख किया कि किसी भी देश को, जो युद्ध समाप्त करने के प्रयास में शामिल होना चाहता है, उसे चर्चा की मेज पर आना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल

पीएम मोदी ने यूक्रेन की राजधानी कीव में राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन में संघर्ष का एकमात्र समाधान बातचीत है। उन्होंने कहा कि भारत कभी भी तटस्थ नहीं रहा है और हमेशा शांति की ओर अग्रसर रहा है। उन्होंने भारत की सक्रिय भूमिका की बात की और यूक्रेन और भारत के बीच चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी की यात्रा को “ऐतिहासिक” करार दिया और कहा कि भारत युद्ध समाप्त करने के वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री को यूक्रेन की यात्रा का निमंत्रण दिया और टिप्पणी की कि भारत को यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए, न कि अमेरिका और रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश करनी चाहिए।

पीएम मोदी की इस यात्रा ने यूक्रेन और भारत के बीच संबंधों को नई दिशा दी है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। भारत और यूक्रेन के बीच किए गए समझौतों और पीएम मोदी की शांति की ओर अग्रसर दृष्टिकोण ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी की इस यात्रा के परिणामस्वरूप संघर्ष के समाधान की दिशा में कौन से नए कदम उठाए जाते हैं और वैश्विक कूटनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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