बांग्लादेश में कट्टरवादी संगठनों का नया एजेंडा, ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का निर्माण

KNEWS DESK- बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद देश में एक नई राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। कट्टरपंथी संगठनों जैसे जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और अब वे ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ नामक एक नए राजनीतिक और धार्मिक एजेंडे पर काम कर रहे हैं। इस योजना के तहत वे बांग्लादेश के साथ-साथ भारत के कुछ हिस्सों और म्यांमार तक के क्षेत्रों को शामिल करना चाहते हैं।

कट्टरपंथी संगठनों का नया मंसूबा

सूत्रों के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश ने ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ के निर्माण का खाका तैयार किया है। सोशल मीडिया पर इस एजेंडे की कुछ तस्वीरें भी वायरल हो चुकी हैं, जिसमें भारत के पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और म्यांमार को इस नए ‘बांग्लिस्तान’ में शामिल किया गया है। ये संगठनों का लक्ष्य बांग्लादेश के साथ इन क्षेत्रों को जोड़कर एक बड़ा इस्लामिक राष्ट्र बनाना है, जहां शरिया कानून लागू किया जाएगा।

खुफिया इनपुट और मंत्री की भूमिका

खुफिया एजेंसियों ने इन कट्टरपंथी संगठनों के बढ़ते कदमों के संबंध में इनपुट भी जुटाए हैं। इस स्थिति को और गंभीर बनाने वाली बात यह है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री का पद अबुल फैयाज खालिद हुसैन को सौंपा गया है। खालिद हुसैन एक कट्टरपंथी मौलाना के रूप में पहचाने जाते हैं और वे इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनकी नियुक्ति के साथ ही इन संगठनों को सरकारी समर्थन मिलने की आशंका जताई जा रही है।

हिफाजत-ए-इस्लाम का प्रभाव

हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश, जो कि चिटगांग में एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम करता है, कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। संगठन का इरादा एशिया में एक ऐसा इस्लामिक राज्य स्थापित करने का है जो अफगानिस्तान के मॉडल पर आधारित हो। इस संगठन का उद्देश्य बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा फैलाना और भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देना है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

बांग्लादेश में अस्थिरता का लाभ उठाकर खालिद हुसैन और इन कट्टरपंथी संगठनों ने अपने खतरनाक मंसूबों को साकार करने के लिए मोर्चा खोल दिया है। खालिद हुसैन की मंत्री बनने के बाद उनके कैडर के लोगों को जेल से रिहा करवाने के लिए दबाव डालने की कोशिशें भी चल रही हैं। यह स्थिति बांग्लादेश के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने के लिए एक बड़ा संकट उत्पन्न कर सकती है और इस क्षेत्र की स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठनों की सक्रियता और उनके नए एजेंडे ने क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीति को एक नई दिशा दी है। ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का निर्माण और शरिया कानून का कार्यान्वयन जैसे मुद्दे न केवल बांग्लादेश बल्कि भारत और म्यांमार के लिए भी चिंता का विषय बन सकते हैं। इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय ताकतों को इस पर नजर बनाए रखनी होगी और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।

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