KNEWS DESK- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आज अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं, यह खबर कनाडा के मीडिया में सामने आई है। ट्रूडो के इस्तीफे की संभावना उनके नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के भीतर और बाहर बढ़ते विरोध को लेकर व्यक्त की जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम ट्रूडो के लिए दबाव को कम करने और चुनावों से पहले अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई स्पष्ट दिशा तय करने के रूप में देखा जा सकता है।
बताया जा रहा है कि जस्टिन ट्रूडो ने खुद ही आगामी चुनावों से पहले इस्तीफा देने का संकेत दिया है। हालिया महीनों में उन्हें लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, और उनकी पार्टी में भी उनके इस्तीफे की मांग उठने लगी है। कनाडा में संघीय चुनाव इस साल अक्टूबर तक कभी भी हो सकते हैं, और इस घटनाक्रम के बाद अब राजनीतिक माहौल और भी दिलचस्प हो गया है।
भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंध
इस समय जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा खासतौर पर भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है। पिछले साल जून में, ट्रूडो ने ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता का आरोप लगाया था। इस आरोप के बाद से ही भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आई थी। भारत ने निज्जर को 2020 में आतंकवादी घोषित कर दिया था और ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था।
यह तनाव इतना बढ़ चुका है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में संकट का सामना करना पड़ रहा है। भारत ने कनाडा से अपेक्षा की है कि वह अपनी ज़मीन पर ऐसे तत्वों को बढ़ावा न दे, जिनसे भारतीय सुरक्षा को खतरा हो। इसके बावजूद, ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा ने इन मुद्दों पर लगातार सार्वजनिक बयान दिए हैं, जो दोनों देशों के संबंधों को और खराब करने का कारण बने हैं।
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा यदि आज होता है, तो यह कनाडा की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। पार्टी के भीतर उनके खिलाफ उठ रहे असंतोष को देखते हुए यह कदम उनका खुद का एक मंथन प्रतीत होता है। हालांकि, इस्तीफा देने के बाद भी यह सवाल उठता है कि उनकी पार्टी और सरकार के लिए आगे की राह क्या होगी और क्या यह कदम आगामी चुनावों में पार्टी के लिए राहत ला पाएगा या नहीं।
हालांकि, यह घटनाक्रम कनाडा और भारत के रिश्तों पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि ट्रूडो के नेतृत्व में ही दोनों देशों के बीच यह संकट गहरा हुआ था। यदि ट्रूडो इस्तीफा देते हैं, तो नया नेतृत्व इस संकट से बाहर निकलने का कोई उपाय खोज सकता है, लेकिन इसके लिए लंबी और कठिन कूटनीतिक प्रक्रिया की आवश्यकता होगी।
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