रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध का आज एक महीना हो चुका है. आज ही के दिन 24 फरवरी को रूस की रेड आर्मी यूक्रेन में घुसी थी, लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी रूस यूक्रेन को झुका नहीं पाया है. अब संयुक्त राष्ट्र परिषद (UNSC) में मिली हार ने भी रूस का मनोबल तोड़ दिया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इसी बैठक में रूस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. रूस ने यूक्रेन में मानवीय मदद के लिए प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन बिना इसी वजह बताए. और इसी वजह से प्रस्ताव पर 15 में से 13 देशों ने वोट नहीं डाले, इसमें भारत भी शामिल था. प्रस्ताव के समर्थन से सिर्फ रूस और चीन ने वोट किया.
यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ है भारत
संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रस्ताव पर वोट नहीं देकर भारत ने फिर साबित किया कि हम यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ हैं. ना किसी के साथ ना किसी के खिलाफ. इससे पहले भी पश्चिमी देशों को तरफ से रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर भी भारत ने यही रुख अपनाया था, जिसको लेकर कई NATO देश सवाल उठा रहे थे.
जेलेंस्की के हौसले अभी भी कायम
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भले की रूस हार गया हो, लेकिन यूक्रेन में वो बेहद तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. काला सागर से लगते खेरसॉन, मारियोपोल, ओडेसा समेत तमाम बंदरगाह शहर लगभग उसके कब्जे में आ चुके हैं. उत्तर में बेलारुस से आई रेड आर्मी राजधानी कीव पर घेराबंदी कस रही, कीव के रिहायशी इलाकों में ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का हौसला अभी भी कायम है. आसमान से बरसती रूसी मिसाइलों के बीच जेलेंस्की कीव में सड़कों पर निकले और रूस को ललकारा.
वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, ”हम सभी को रूस को रोकना होगा. दुनिया को युद्ध रोकना चाहिए. मैं उन सभी का आभारी हूं जो यूक्रेन का साथ दे रहे हैं, लेकिन युद्ध जारी है. नागरिकों के खिलाफ आतंक जारी है. इसको एक महीना बीत गया! बहुत लंबा! यह मेरा दिल, सभी यूक्रेनियन और पृथ्वी पर हर स्वतंत्र व्यक्ति के लिए दुखी है, इसलिए मैं आपसे युद्ध का विरोध करने के लिए कहता हूं!”