जाने डिजिटल जिंदगी’ के खतरे

औसतन भारत में एक वयस्क पेशेवर काम या शिक्षा कार्यों से इतर स्क्रीन के सामने हर दिन 4.4 घंटे गुजारता है. सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों ने कहा कि स्मार्ट फोन वह आम उपकरण है जिसके इस्तेमाल में वह काफी ज्यादा समय (84 प्रतिशत) गुजारते हैं.

कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल कार्य न केवल रोजमर्रा की जिंदगी का अहम् हिस्सा बन गया बल्कि कई लोगों को इस दौरान ऑनलाइन रहने की आदत सी बन गई

साइबर सिक्युरिटी कंपनी नोर्टनलाइफलॉक ने उपभोक्ताओं के घर पर रहते हुए ऑनलाइन व्यवहार की समीक्षा के लिए एक नया वैश्विक अध्ययन किया है. अध्ययन के भारतीय खंड से मिले निष्कर्षों के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल हर तीन में से दो भारतीय (66 प्रतिशत) ने कहा कि वे महामारी की वजह से ऑनलाइन रहने की आदत के शिकार हो गए हैं

शिक्षा और पेशेवर कार्य के लिए इस्तेमाल के इतर डिजिटल स्क्रीन के सामने बीतने वाला उनका समय महामारी के दौरान काफी ज्यादा बढ़ गया                  अध्ययन में शामिल अधिकांश भारतीयों (74 प्रतिशत) ने माना कि वे स्क्रीन के सामने जितना समय बिताते हैं उससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जबकि आधे से अधिक (55 प्रतिशत) ने कहा कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.

हर व्यक्ति के लिए अपने ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन समय के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है ताकि उनके स्वास्थ्य और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े  डिजिटल होने के साथ  ऑनलाइन परिदृश्य में साइबर खतरों की संख्या और प्रकारों में वृद्धि हुई है         इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने कनेक्टेट उपकरणों का उपयोग कैसे और कहां करते हैं

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