हरियाणा में बीजेपी को बड़ा झटका, मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने दिया इस्तीफा

KNEWS DESK- हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। राज्य के वरिष्ठ मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने पार्टी के साथ अपने सभी संबंध समाप्त करते हुए इस्तीफा दे दिया है। यह कदम बीजेपी द्वारा विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी किए जाने के बाद उठाया गया है, जिसमें चौटाला का नाम शामिल नहीं था।

इस्तीफे की वजह

रंजीत चौटाला, जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनावों में हिसार से बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ा था और हार गए थे, ने अब पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। चौटाला 2019 के विधानसभा चुनावों में रनिया सीट से निर्दलीय चुनाव जीत चुके थे और उसके बाद मनोहर लाल की अगुवाई वाली सरकार को समर्थन दिया था। पार्टी की पहली सूची में नाम न होने के कारण वह काफी नाराज थे और यह इस्तीफा उनकी असंतोषजनक स्थिति का परिणाम है।

बीजेपी की उम्मीदवार सूची

बीजेपी ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 67 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। इस सूची में रंजीत चौटाला का नाम न देखकर चौटाला ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया। चौटाला ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी टिकट की उम्मीदवारी के लिए संघर्ष किया था, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए पार्टी ने उन्हें इस बार नजरअंदाज किया।

मंत्री का करियर

रंजीत चौटाला ने 2019 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार को समर्थन दिया था। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी चौटाला मंत्री बने रहे। लोकसभा चुनावों में उन्हें हिसार से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन चुनाव हारने के बाद उन्होंने विधायकी छोड़ दी थी।

राजनीतिक प्रभाव

रंजीत चौटाला के इस्तीफे से बीजेपी को हरियाणा में राजनीतिक रूप से नुकसान हो सकता है। चौटाला के समर्थकों और उनके क्षेत्रीय प्रभाव को देखते हुए, उनका इस्तीफा पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर सकता है। इसके अलावा, इस घटनाक्रम से बीजेपी की आंतरिक राजनीति और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ सकते हैं।

आगामी चुनावों पर प्रभाव

चौटाला का इस्तीफा बीजेपी के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में एक और चुनौती को जन्म देता है। पार्टी को अब अपने उम्मीदवारों की सूची और चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। साथ ही, चौटाला की राजनीतिक गतिविधियों और उनके समर्थकों की प्रतिक्रिया पर भी पार्टी की निगाहें होंगी। बीजेपी के लिए यह इस्तीफा एक संकेत हो सकता है कि पार्टी को अपने आंतरिक विवादों और नेतृत्व की रणनीतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

ये भी पढ़ें-  मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री ने सरोजिनी नायडू स्कूल में छात्राओं के प्रदर्शन पर जताई चिंता, शिक्षक को हटाने के दिए आदेश

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.