KNEWS DESK- 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतभर में तिरंगा झंडा फहराया जाता है, जो हमारे देश की स्वतंत्रता और सम्मान का प्रतीक है। हालांकि, तिरंगे को फहराने और संभालने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम और दिशानिर्देश हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में-
तिरंगा झंडा फहराने के नियम
झंडे की सामग्री- तिरंगा झंडा खादी, सूती, या सिल्क का बना होना चाहिए। यह हाथ से काता हुआ या बुना हुआ भी हो सकता है।
आकार और अनुपात- झंडा आयताकार आकार में होना चाहिए, जिसमें लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 हो।
रंग की स्थिति- झंडे में केसरिया रंग को नीचे की ओर करके फहराया नहीं जा सकता। सही दिशा में केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए।
फहराने का समय- पहले तिरंगा झंडा केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता था, लेकिन अब रात में भी झंडा फहराने की अनुमति है, बशर्ते कि झंडा उचित रोशनी में हो।
झंडे को जमीन पर रखना- झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाना चाहिए। इसे हमेशा सम्मानपूर्वक संभालना चाहिए।
आधा झुकाना- जब तक कोई सरकारी आदेश न हो, झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जा सकता।
पानी में डुबाना- झंडे को पानी में नहीं डुबाना चाहिए।
अक्षर और चित्र- तिरंगे पर किसी भी तरह का अक्षर, चित्र या चिन्ह नहीं लिखा जा सकता।
पर्दा या ढकने के लिए प्रयोग- झंडे का उपयोग पर्दा बनाने या किसी भी वस्तु को ढकने के लिए नहीं किया जा सकता।
अन्य झंडे का स्थान- किसी भी प्रकार के झंडे को तिरंगे से ऊपर नहीं लगाया जा सकता। तिरंगा झंडा सबसे ऊँचा और प्रमुख होना चाहिए।
तिरंगे को वापस रखने के नियम
संस्कार और सम्मान- झंडा फहराने के बाद उसे सम्मानपूर्वक वापस रखना चाहिए। पहले झंडे को लंबवत मोड़ें, जिसमें केसरिया और हरे रंग की पट्टी को सफेद के पीछे कर दें, और अशोक चक्र को ऊपर की ओर रखें। फिर झंडे को सुरक्षित जगह पर रखें।
कट-फटे झंडे का निपटान- यदि तिरंगा झंडा कट या फट जाए और फहराने लायक न रहे, तो उसे सम्मानपूर्वक दफनाना चाहिए या एकांत में जलाकर नष्ट करना चाहिए। झंडे को कूड़ेदान या किसी अन्य अव्यवस्थित स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए।
दफनाने की प्रक्रिया- कटे-फटे तिरंगे को दफनाने के लिए एक बॉक्स में रखकर एक शांत और एकांत स्थान पर दफना देना चाहिए।
तिरंगे का अपमान और दंड
अपमान- तिरंगे का कमर्शियल उपयोग नहीं किया जा सकता। तिरंगे को किसी के सामने झुकाना, कपड़े के रूप में पहनना, मूर्ति में लपेटना, या शव के ऊपर डालना तिरंगे का अपमान माना जाता है।
दंड- झंडे को जलाने या नुकसान पहुंचाने पर तीन साल की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
गृह उपयोग की अनुमति- 1992 में नवीन जिंदल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका के परिणामस्वरूप, भारतीय नागरिकों को अपने घरों पर तिरंगा झंडा फहराने का अधिकार प्राप्त हुआ। पहले इस अधिकार की अनुमति नहीं थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले और फ्लैग कोड के गठन के बाद यह अधिकार मान्यता प्राप्त हुआ।
इन नियमों और दिशानिर्देशों के माध्यम से, तिरंगे के प्रति सम्मान और उसकी गरिमा बनाए रखना सुनिश्चित किया जाता है। यह न केवल तिरंगे के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि हमारे राष्ट्रीय प्रतीक की गरिमा और सम्मान की रक्षा भी करता है।
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